रायपुर। दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में हुए अंखफोड़वा कांड से प्रभावित मरीजों का मेकाहारा, रायपुर में इलाज चल रहा है। इन मरीजों से कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता के नेतृत्व में एक दल ने मुलाकात की। डॉ गुप्ता ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि इतनी जल्दबाजी में डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ को निलंबित करना गलत है। कई बार इस तरह के मामलों में दवाइयों के खराब होने के चलते समस्या आती है और पूरी जांच किये बिना इस तरह की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
जिला अस्पताल, दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कई मरीजों की आंखों में फंगस आ गया। मामले की जानकारी मिलने के बाद सभी मरीजों को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, रायपुर (मेकाहारा) में लाया गया। इन मरीजों से मिलने के लिए कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता और उनकी टीम पहुंची। इनसे बातचीत के बाद डॉ गुप्ता ने बताया कि अधिकांश मरीजों की आंखों का ऑपरेशन कर दिया गया है। उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि ऐसे मामले में दोबारा ऑपरेशन के बाद भी मरीजों के आंखों की रौशनी वापस आने की उम्मीद केवल 50% तक रह जाती है।
डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पूर्व में चार स्थानों राजनांदगांव, बालोद बागबहरा और कवर्धा में अंखफोड़वा कांड हो चुके हैं और इन मामलों की जांच में दवाइयां अमानक पाई गईं। ऐसे में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को जल्दबाजी में निलंबित करना गलत है। इस मामले की पूरी जांच के बाद कार्रवाई होनी चाहिए थी। फ़िलहाल जो मरीज प्रभावित हुए हैं उनके इलाज पर फोकस करना चाहिए।
प्रोटोकॉल के तहत होता है ऑपरेशन
दरअसल मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रोटोकॉल जारी किया हुआ है, जिसका पालन करते हुए ही इलाज होना चाहिए। डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि इन्ही में से कुछ मरीजों की आंखों का ऑपरेशन पिछले वर्ष हुआ था, और इलाज सफल रहा। ऐसे में अभी डॉक्टर को गलत ठहरा देना गलत है। वहीं पैरामेडिकल स्टाफ को सीधे निलंबित कर देने को भी उन्होंने अनुचित ठहराया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से डॉक्टर और स्टाफ हतोत्साहित होते हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में बहुत ही गरीब मरीजों की आंखों का इलाज होता है। इन्हें अगर नुकसान होता है तो सरकार को इनकी सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।