राष्‍ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कमेटी करेगी इलाज की मॉनिटरिंग

रायपुर। दीपावली, रौशनी और उमंग का पर्व है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक अलग-अलग रंगों में इसे भव्य रूप से मनाया जाता है। त्यौहार के पहले राज्य में एक दुखद घटना घटी, एक बड़ी लापरवाही से अब तक तीन लोगों की हालत गंभीर है और उनकी आंखों की रौशनी लौटने की उम्मीद बहुत कम है। दंतेवाड़ा में हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लोगों को आंख में तकलीफ की समस्या शुरू हुई और इसे मामूली समझकर नजरअंदाज किया गया लेकिन इसका खामियाजा उन ग्रामीणों को भुगतना पड़ा जो सरकारी तंत्र पर आश्रित है। फिलहाल, आंखों में संक्रमण के चलते ये सभी इस बार दिवाली की चमक पूरी तरह नहीं देख पाएंगे। कामना है कि अगली दिवाली वे अपने आंखों की रौशनी के साथ मनाएं।

दंतेवाड़ा जिला हॉस्पिटल में 39 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन हुआ, जिसमें से अब तक 17 मरीजों की आंखें संक्रमित हो चुकी है और इनमें से तीन लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। साथ ही संक्रमितों की संख्या हर दिन बढ़ रही हैं। इधर, मेकाहारा में मरीजों का इलाज चल रहा है, दिल्ली से तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम पहुंच चुकी है। संक्रमण को नियंत्रित करने एक अन्य टीम राजधानी पहुंचने वाली है। इस टीम में हैदराबाद, सूरत और नागपुर के डॉक्टर शामिल है।

सोमवार को तीन और मरीज संक्रमित पाए गए थे, वहीं मंगलवार को संक्रमितों की संख्या 17 तक पहुंच गई है। इन सभी मरीजों का इलाज राजधानी रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में जारी है। खबर लिखे जाने तक 39 में 17 मरीजों में संक्रमण फैल चुका है और बचे 22 लोगों पर भी यह खतरा मंडरा रहा है। चिंता का विषय यह है कि दंतेवाड़ा में आंखों के इलाज के लिए डॉक्टर नहीं है। एकमात्र डॉक्टर गीता नेताम नेत्र रोग की विशेषज्ञ हैं, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। फिलहाल उनके स्थान पर किसी डॉक्टर को पदस्थ नहीं किया गया है, जिसके चलते देखरेख के अभाव में बाकी मरीजों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

केंद्रीय टीम करेगी मॉनीटरिंग

कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राकेश गुप्ता बताते है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर प्रोटोकॉल के तहत गलतियों को सुधारने की गुंजाइश के लिए केंद्र से टीम आती है। फिलहाल दंतेवाड़ा मामले के मॉनीटरिंग के लिए दिल्ली से राष्‍ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम की टीम रायपुर पहुंच चुकी है। ऐसी घटना किसी अन्य राज्य में न हो और इसकी कोई आशंका न रहे, इसे देखते हुए भारत सरकार के प्रोटोकॉल के तहत जांच टीम को भेजा जाता है। यह टीम मामले की जांच कर सुनिश्चित करती है कि किन कारणों से घटना हुई। रिपोर्ट के आधार पर अन्य जिलों और राज्यों को अलर्ट किया जाता है, ताकि वे सतर्क रहे और ऐसी घटना दोबारा कहीं न घटे।