महासमुंद। इस जिले के एक सरपंच को गांव की समस्याओं को अलग तरीके से प्रकाश में लाना महंगा पड़ गया। यहां के बंबूरडीह पंचायत के सरपंच शत्रुघन चेलक को निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप में एसडीएम न्यायालय ने पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत कार्रवाई करते हुये पद से हटा दिया है। शत्रुघन वही सरपंच है, जिसने पूर्व में दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के निवास के समक्ष सड़क पर लेटकर पहुंचने के बाद सड़क की मांग को लेकर गुहार लगाई थी और वह इसके चलते खबरों की सुर्खियां बना था। इसके अलावा उसने गांव की जर्जर सड़क पर धान की फसल लगाकर इस समस्या को भी प्रकाश में लाया था।


जांच में अधूरे मिले निर्माण कार्य
SDM न्यायलय की ओर से यह जानकारी दी गई है कि बंबूरडीह पंचायत के अभिलेखीय परीक्षण में पता चला है कि ग्राम पंचायत में वर्ष 2019-20 और 2023-24 की कई योजनाओं के मातहत स्वीकृत निर्माण कार्य अभी तक अधूरे पड़े हैं।
जांच के बाद जनपद पंचायत, महासमुंद के प्रतिवेदन के आधार पर पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत एसडीएम ने यह कार्रवाई की है। इस आदेश में बताया गया है कि इनमें जनपद पंचायत महासमुंद द्वारा स्वीकृत किए अतिरिक्त कक्ष, बाउंड्रीवाल, सीसी रोड और स्वागत गेट का निर्माण शामिल हैं। हालांकि, इन कार्यों के लिए आबंटित धनराशि का आहरण पहले ही कर लिया गया था। जांच में 16 लाख,94 हजार, 644 के व्यय का विवरण पाया गया। लेकिन संबंधित बिल और वाउचर पेश नहीं किए गए थे। यह भी सामने आया है कि कई महत्वपूर्ण बैठकों में प्रस्तावों पर सचिव और सरपंच के हस्ताक्षर नहीं थे। बिना पंचायत के प्रस्ताव पारित किए ही कई योजनाओं में धनराशि का उपयोग किया गया।

बरसात के चलते कार्य अधूरे होने का दावा
उधर सरपंच ने अपने जवाब में दावा किया है कि निर्माण कार्य बरसात के कारण रुका है, लेकिन जांच अधिकारी ने इसे संतोषजनक नहीं माना। प्रतिवेदन के अनुसार, सरपंच ने बिना उचित निरीक्षण और प्रस्ताव के धनराशि आहरित कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (क) और (ख)’ के अंतर्गत जांच टीम ने सरपंच शत्रुघन चेलक के इस कृत्य को लोकहित के विरुद्ध माना और उन्हें उनके पद से हटाने का निर्णय लिया है। यह आदेश न्यायालय, अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा पारित किया गया है।
गांव के लोगों ने चंदा करके भेजा था दिल्ली
दरअसल बंबूरडीह पंचायत के सरपंच शत्रुघन चेलक का कहना था कि यहां के आश्रित ग्राम रामाडबरी का नाम राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है। यह भारत सरकार के नक्शे में नहीं है। गूगल में भी नहीं है। गांव का नाम राजस्व विभाग के रिकॉड में नहीं होने से इसे सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। इसलिए गांव का नाम राजस्व विभाग में जोड़ा जाए और यहां सड़क का निर्माण कराए जाए। इस मुद्दे को प्रकाश में लाने के लिए इस गांव के जागरूक लोगों ने चंदा करके सरपंच शत्रुघन चेलक को नई दिल्ली भेजा था। जहां शत्रुघन चेलक जमीन पर लेटकर गडकरी के निवास पर गए। यहां पर मंत्री से तो मुलाकात नहीं हुई पर गांव की समस्या और सड़क को लेकर अपना मांगपत्र सरपंच ने उनके स्टाफ के सुपुर्द किया। उसकी यह खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी।

शत्रुघन चेलक ने इसके आलावा गांव के स्कूल तक पहुंचने वाली जर्जर सड़क पर बच्चों के साथ धान की फसल लगाकर खूब सुर्खियां बटोरी। हालांकि उसका यह प्रयास जिम्मेदार अफसरों को पसंद नहीं आया।
ऐसे में अधिकांश सरपंच हो जायेंगे बर्खास्त
जानकारों का कहना है कि जिस मुद्दे को लेकर सरपंच शत्रुघन चेलक को बर्खास्त किया गया है, वैसा अधिकांश पंचायतों में मिलेगा। सभी पंचायतों के कामकाज की निष्पक्षता से ऑडिट की जाये तो अनेक सरपंचों की कुर्सी छिन जाएगी। पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 एक ऐसी तलवार है जो सरपंचों के ऊपर लटकी रहती है। जब चाहा इस्तेमाल कर लिया। हालांकि जिन सरपंचों को बचाना होता है उन पर केवल आर्थिक दंड लगा दिया जाता है, अन्यथा शत्रुघन चेलक जैसे सरपंचों को बर्खास्त करने के साथ ही आगे का चुनाव लड़ने के भी अयोग्य ठहरा दिया जाता है। बहरहाल ये देखने वाली बात होगी कि पद से हटाए गए शत्रुघन चेलक अपने गांव की समस्या को लेकर आगे की लड़ाई किस तरह लड़ते हैं।