टीआरपी डेस्क। मणिपुर में बीते कुछ महीनों से चल रही हिंसा के बीच, केंद्र सरकार ने राज्य की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर के पांच जिलों इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिष्णुपुर के कुछ इलाकों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए वहां सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को लागू कर दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य हिंसाग्रस्त राज्य में सुरक्षा की स्थिति को मजबूती से संभालना और सामान्य स्थिति बहाल करना है।
क्यों लागू किया गया AFSPA?
मणिपुर में पिछले साल से जातीय हिंसा का दौर जारी है, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बेघर हो गए हैं। हाल ही में जिरीबाम जिले में उग्रवादियों के साथ हुई मुठभेड़ और इसके बाद नागरिकों के अपहरण जैसी घटनाओं के कारण तनाव और बढ़ गया। गृह मंत्रालय ने हालात को देखते हुए इन जिलों में AFSPA लागू करने का निर्णय लिया, ताकि सुरक्षा बलों को क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जरूरत पड़ने पर गोली चलाने के अधिकार मिल सकें।
अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती
हिंसा और उग्रवाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने लगभग 20 अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की कंपनियों को तुरंत मणिपुर भेजने का आदेश दिया। इन बलों को हवाई मार्ग से भेजा गया है ताकि जल्दी से तैनाती की जा सके।
AFSPA का विस्तार
इससे पहले 1 अक्टूबर को मणिपुर राज्य सरकार ने पूरे राज्य में AFSPA लागू किया था, लेकिन पांच जिलों के छह पुलिस स्टेशन क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया था। मौजूदा हालात को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब इन इलाकों में भी AFSPA लागू कर दिया है। इस अधिनियम के तहत सशस्त्र बलों को तलाशी और गिरफ्तारी के विशेषाधिकार मिलते हैं, जो सुरक्षा अभियान में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
जिरीबाम में मुठभेड़ और अपहरण की घटनाएं
कुछ दिनों पहले मणिपुर के जिरीबाम जिले में उग्रवादियों ने सीआरपीएफ के साथ भीषण मुठभेड़ की थी, जिसमें 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। इस मुठभेड़ के अगले ही दिन उसी जिले में उग्रवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया, जिससे इलाके में तनाव और बढ़ गया। इस प्रकार की घटनाएं मणिपुर में बिगड़ती स्थिति का संकेत देती हैं और यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इन इलाकों को “अशांत क्षेत्र” घोषित कर AFSPA लागू किया है।
AFSPA लागू होने के बाद की संभावित स्थिति
AFSPA लागू होने से सशस्त्र बलों को हिंसाग्रस्त इलाकों में स्वतंत्रता के साथ कार्रवाई करने की अनुमति मिलती है। इस अधिनियम के तहत सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार मिलते हैं, जैसे संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी करना, आवश्यकतानुसार गिरफ्तारियां करना और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करना। इस निर्णय का उद्देश्य मणिपुर के निवासियों के बीच सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना और उग्रवादी गतिविधियों को नियंत्रित करना है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि
मणिपुर में जातीय हिंसा का सिलसिला मई 2023 से शुरू हुआ, जिसने धीरे-धीरे राज्य को व्यापक रूप से प्रभावित कर दिया। अलग-अलग समुदायों के बीच संघर्ष ने सामाजिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। इस हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। राज्य के विभिन्न जिलों में भड़की हिंसा को नियंत्रित करने के प्रयास में सुरक्षा बलों को लगातार चुनौती का सामना करना पड़ा है।
AFSPA के भविष्य पर चर्चा
AFSPA का उपयोग मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किया गया है, लेकिन इसके प्रभाव को लेकर विभिन्न विचार हैं। हालांकि इस अधिनियम का उद्देश्य अस्थिर क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन इसका लंबे समय तक लागू रहना कई बार विवाद का कारण बनता है। मानवाधिकार संगठनों द्वारा भी इस अधिनियम पर समय-समय पर सवाल उठाए गए हैं।