रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गुरु घासीदास-तमोर पिंगला क्षेत्र को राज्य के 56वें बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया है। यह कदम राज्य में वन्यजीव संरक्षण और बाघों के संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह नया बाघ अभयारण्य 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो बाघों के प्राकृतिक आवास और अन्य वन्यजीवों की रक्षा के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र प्रदान करेगा।

इस बारे में वन मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि

छत्तीसगढ़ में दहाड़ें और तेज़ होंगी, जैसे-जैसे भारत बाघ संरक्षण में नए मील के पत्थर छू रहा है, हमने छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को 56वें ​​बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। भारत एक ऐसे हरित भविष्य की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। जहां मनुष्य और जानवर सद्भावनापूर्वक सहवास कर सकें।

इस अधिसूचना के साथ, गुरु घासीदास-तमोर पिंगला क्षेत्र को बाघ अभयारण्य का दर्जा मिल गया है, जो वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब, इस क्षेत्र में बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, और साथ ही इनकी संख्या में वृद्धि के प्रयास किए जाएंगे। बाघों के संरक्षण से न केवल उनके लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित होगा, बल्कि इससे इस क्षेत्र की जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा।

बता दें कि गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य छत्तीसगढ़ के मध्यवर्ती क्षेत्रों में स्थित है और इसके वन्यजीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र विशेष रूप से बाघों की प्रजातियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा अन्य वन्यजीव जैसे तेंदुआ, अजगर, हाथी, और कई प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ भी इस क्षेत्र में पाई जाती हैं।