रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित रामावतार जग्गी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से आज एक अहम फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित याहया ढेबर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल को जमानत देकर बड़ी राहत दी। मामले के अन्य आरोपियों की याचिकाओं पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने आज सुनवाई के दौरान पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के बाद, न्यायालय ने फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल की जमानत अर्जी को मंजूरी दे दी, लेकिन याहया ढेबर की याचिका खारिज कर दी। आपको बता दें कि इसके पूर्व 5 अभियुक्तों को जमानत दी जा चुकी है।

जग्गी हत्याकांड छत्तीसगढ़ में राजनीतिक हत्या का यह पूरा मामला 4 जून 2003 का है। जब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी। इस पूरे हत्याकांड में पुलिस ने 31 लोगों को आरोपी बनाया था। जिसमें पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी का भी नाम शामिल था। वही बुल्ठू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। इन आरोपियों में से एक अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।

कौन थे रामावतार जग्गी ? कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। जब शुक्ल कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया था। ये हैं दोषी जग्गी हत्याकांड में अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत और विश्वनाथ राजभर दोषी हैं।