फिच-मूडीज ने की नैगेटिव रेटिंग, आंध्र प्रदेश में शुरू हुई जांच

टीआरपी डेस्क। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने नोटिस जारी किया है। इसमें दोनों को 21 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया। मामला सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए कथित तौर पर 265 मिलियन डॉलर (2200 करोड़ रुपये से ज्यादा) की भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप से जुड़ा है। अमेरिकी कोर्ट ने दोनों के खिलाफ नोटिस जारी किया।

जबकि इस पर अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन ने अपनी एक्सचेंज फाइलिंग में जानकारी देते हुए कहा कि गौतम अडानी, सागर अडानी या विनीत जैन पर कोई रिश्वत का आरोप नहीं है। कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा है कि अमेरिकी न्याय विभाग के प्रोसिक्यूशन में सिर्फ AZURE और CDPQ ऑफिशियल पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है।

अमेरिका से नोटिस भेजने की खबर से उद्योग जगत में हड़कंप मच गया और परिणामस्वरूप एक के बाद एक अडानी से व्यापारिक संबंध रखने वाले देशों ने किनारा कर लिया है। इसके साथ देश के अन्य राज्यों में अडानी समूह को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। एक-एक कर समझिए क्या है पूरा मामला…

ओडिशा में गंधमर्दमन पहाड़ियों के पास जमीन खरीदी, सियासत में मची हलचल

अडानी समूह द्वारा ओडिशा के गंधमर्दन पहाड़ियों के पास जमीन खरीदने के बाद, विपक्षी दलों बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए यह सवाल उठाया कि क्या कंपनी उस क्षेत्र में खनन करने का इरादा रखती है। हालांकि, अडानी समूह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण का उद्देश्य केवल वनीकरण के जरिए स्थानीय पारिस्थितिकी को सुधारना है, और इसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।

2023 में, जब बीजद सत्ता में थी, तो राज्य सरकार ने बरगढ़ से बलांगीर जिले तक फैले गंधमर्दन पहाड़ी क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) के रूप में घोषित किया था। (BHS) ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिनमें अद्वितीय और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ समृद्ध जैव विविधता होती है। बलांगीर के बीजद विधायक, कलिकेश सिंह देव ने कहा, सरकार को अदाणी समूह द्वारा गंधमर्दन पहाड़ी के पास जमीन अधिग्रहण के उद्देश्य पर स्पष्टता देनी चाहिए, जहां अनुमानित रूप से 20.7 करोड़ टन बॉक्साइट का भंडार है। राज्य सरकार की चुप्पी से लोगों के संदेह में वृद्धि हो रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि 1980 के दशक में, दोनों जिलों के निवासियों ने गंधमर्दन पहाड़ियों में बॉक्साइट खनन की योजना का विरोध किया था, जिसे भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) ने प्रस्तावित किया था। अब, उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो लोग आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं, और अगर कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न होती है, तो राज्य सरकार जिम्मेदार होगी। वयोवृद्ध कांग्रेस नेता, नरसिंह मिश्रा ने भी कहा कि यदि गंधमर्दन पहाड़ियों में खनन का कोई प्रस्ताव है, जिसमें सैकड़ों औषधीय पौधों का खजाना है, तो उनकी पार्टी बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेगी।

ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, देबिदत्त बिस्वाल ने कहा कि उन्हें अदाणी समूह द्वारा जमीन खरीदने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, किसी भी वन भूमि का हस्तांतरण किसी समूह को नहीं किया गया है।

इस बीच, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि गंधमर्दन पहाड़ियों में खनन का कोई प्रस्ताव नहीं है। उनका कहना था, चूंकि बीजद के पास राज्य सरकार के खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं है, वे एक गैर-मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव, जो बीजद विधायक के रिश्तेदार भी हैं, ने आरोप लगाया कि बोलांगीर विधायक सुर्खियों में बने रहने के लिए बिना कारण मुद्दा बना रहे हैं।

छत्तीसगढ़ः हसदेव अरण्य खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने थमाया नोटिस

हसदेव अरण्य को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की सिफारिश के हिसाब से खनन मुक्त करने और संरक्षित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी किया है।

परसा ब्लॉक में खनन रोकने के आवेदन पर भी नोटिस
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूयान की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की याचिका पर यह नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका के अलावा परसा परसा कोल ब्लॉक में खनन प्रारंभ न करने के आवेदन पर भी नोटिस जारी किए हैं जिसमें यह बताया गया है कि पहले से चालू खदान PEKB का उत्पादन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की वार्षिक आवश्यकता को पूरा कर रहा है और इस कारण भी किसी नए खदान को खोलने की आवश्यकता नहीं है।

गौरतलब है कि हाल ही में इस नई परसा कोयला खदान को खोलने के सरकारी प्रयास के विरोध में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था।

NO GO एरिया में खनन की अनुमति पर आपत्ति
सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने खंडपीठ को बताया कि उक्त पूरा क्षेत्र केंद्र सरकार के द्वारा ही नो गो एरिया घोषित किया गया था। बाद में केंद्र सरकार द्वारा ही इस क्षेत्र को खनन के लिए निश्चित क्षेत्र इन वायलेट भी घोषित किया गया इसके बाद भी राजस्थान विद्युत उत्पादन और अडानी समूह के खनन के लिए यहां खदानें आवंटित की गई।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के द्वारा भी इस क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की सिफारिश की गई है उसके बाद भी छत्तीसगढ़ की सरकार और केंद्र सरकार में PEKB खदान के चरण दो और परसा कोयला खदान की अनुमतियां जारी की है जिसे इस याचिका में चुनौती दी गई है। इस क्षेत्र में खनन होने से चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे।

सुनवाई के दौरान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नादकर्णी और अडानी समूह की कंपनियों की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका के औचित्य पर सवाल उठाया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए उस आवेदन पर भी नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि पीईकेबी खदान से कोयले की पूरी सप्लाई होने के बाद भी नई खदान बिना किसी वजह खोली जा रही है।

सोलर एनर्जी परियोजनाओं को हासिल करने रिश्वत, आंध्र प्रदेश में शुरू हुई जांच

आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने अडानी समूह के साथ किए गए बिजली आपूर्ति समझौतों की समीक्षा शुरू कर दी है। अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने 2021-22 के बीच ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सोलर एनर्जी परियोजनाओं को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कथित तौर पर 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इस घूस का एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश की राज्य बिजली वितरण कंपनियों को बिजली खरीदने के लिए दिया गया था। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव के अनुसार, पिछली सरकार द्वारा किए गए सभी समझौतों की फाइलों की जांच की जा रही है।

केन्या के राष्ट्रपति ने अदाणी समूह के साथ प्रमुख सौदों को किया रद्द

केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी से जुड़े दो प्रमुख सौदों को रद्द कर दिया है, यह कदम अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अदाणी के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद उठाया गया। रूटो ने कहा कि नई जानकारी, जो हमारी जांच एजेंसियों और साझीदार देशों ने प्रदान की है, के आधार पर ये सौदे रद्द किए गए हैं। इससे एक दिन पहले, अडानी, जो भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं, पर अमेरिकी अभियोजकों ने 250 मिलियन डॉलर (लगभग 198 मिलियन पाउंड) की रिश्वत योजना में शामिल होने और उसे छिपाने का आरोप लगाया था, जिससे अमेरिका में धन जुटाने की कोशिश की गई थी। अडानी समूह के प्रतिनिधियों ने अमेरिकी अभियोजकों के आरोपों को बेसलेस बताते हुए खारिज किया है।

राष्ट्रपति रूटो ने संसद में अपने संबोधन में कहा, भ्रष्टाचार के बारे में बिना विवादित सबूत या विश्वसनीय जानकारी के सामने आने पर, मैं निर्णायक कार्रवाई करने में संकोच नहीं करूंगा, इस पर संसद में जोरदार तालियां बजीं। अडानी समूह को केन्या के मुख्य हवाई अड्डे में 1.85 बिलियन डॉलर का निवेश करने के बदले इसे 30 सालों तक चलाने का अनुबंध प्राप्त था, इसके अलावा ऊर्जा मंत्रालय के साथ 736 मिलियन डॉलर का सौदा भी था, जिसमें पावर लाइनों का निर्माण शामिल था।

हवाई अड्डे के प्रस्ताव के तहत, सुधारों में जोमो केन्याटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नई रनवे और यात्री टर्मिनल का निर्माण शामिल था। अदाणी समूह के साथ किए गए ये सौदे देश में काफी अप्रिय थे और भ्रष्टाचार को लेकर चिंता जताई जा रही थी। हवाई अड्डे का सौदा सितंबर में हवाई अड्डे के कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन का कारण बना, क्योंकि कई कर्मचारियों को डर था कि इससे उनकी नौकरियां चली जाएंगी।

ऊर्जा मंत्री ओपियो वंदयी ने एक संसदीय समिति से कहा कि पावर लाइनों की खरीद में कोई रिश्वत या भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। राष्ट्रपति रूटो ने अपनी सरकार के खिलाफ बार-बार भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने का वचन दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अब हवाई अड्डे और ऊर्जा सौदों के लिए वैकल्पिक साझेदारों की तलाश शुरू करेगी।

फिच और मूडीज ने गिराई रेटिंग

अमेरिकी घूसकांड में फंसे उद्योगपति गौतम अडानी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अडानी समूह की 7 कंपनियों का आउटलुक नेगेटिव कर दिया। इन कंपनियों में अडानी ग्रीन एनर्जी, पोर्ट्स, ट्रांसमिशन, इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड, इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल, और पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड शामिल हैं। मूडीज़ ने यह निर्णय अडानी समूह की कानूनी समस्याओं और इसके संचालन पर पड़ रहे प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया है।

इसके अलावा, फिच रेटिंग्स ने भी अडानी समूह की 4 कंपनियों- अडानी पोर्ट्स, एनर्जी, इलेक्ट्रिसिटी मुंबई और स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड की रेटिंग को नेगेटिव कर दिया है।

अमेरिकी कोर्ट में अभियोग दायर होने के बाद पिछले छह दिनों में अडानी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार मूल्य 2.77 लाख करोड़ रुपए घट चुका है, जिसमें अडानी ग्रीन को 78 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जीज ने अडानी समूह में अपने नए निवेश को रोक दिया है। यह कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड में 19.75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है। फरवरी 2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भी टोटल एनर्जीज ने अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अपनी योजना टाल दी थी।

इसके अलावा, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (DFC) इस अभियोग के प्रभाव का मूल्यांकन कर रहा है, और इसका असर श्रीलंका में बंदरगाह विकास परियोजना के लिए 550 मिलियन डॉलर के कर्ज पर पड़ सकता है। इस परियोजना में अडानी समूह का आंशिक स्वामित्व है।