बिलासपुर। राजस्व विभाग द्वारा संचालित भुईयां पोर्टल में सरकारी जमीन को निजी लोगों के नाम दर्शाकर लाखों रूपये का लोन उठाने का मामला उजागर होने के बाद इस घोटाले में शामिल पटवारी और बैंक अफसरों की शामत आ गई है।

80 एकड़ जमीन का किया खेला
बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक के ग्राम पौड़ी में 80 एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से चार निजी व्यक्तियों के नाम चढ़ाकर भाटापारा स्थित आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से 20 लाख रुपये का लोन लेने का मामला सामने आया है। जांच के बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने दोषी पटवारी, उसके सहयोगी और बैंक अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
अस्तित्व में ही नहीं थी जमीन..!
ग्राम पौड़ी के पटवारी राजकुमार सवैया ने भुईयां पोर्टल में 80 एकड़ सरकारी जमीन की फर्जी प्रविष्टि करवाई। इस जमीन को पांच अलग-अलग खसरा नंबरों में दर्ज कर, वास्तविक जमीन न होने के बावजूद इसे निजी व्यक्तियों के नाम पर चढ़ा दिया। जांच में पता चला कि ये जमीन न तो सरकारी रिकार्ड में है और न ही भौतिक रूप से मौजूद। इसके बावजूद इन फर्जी प्रविष्टियों का उपयोग कर बैंक से लोन लिया गया।
पटवारी ने लोन लेने किया इस तरह का खेला
पटवारी ने 17.5 एकड़ जमीन को गिरवी दिखाकर भाटापारा आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से 20 लाख रुपये का लोन लिया। बैंक ने बिना जरूरी दस्तावेजों की जांच किए लोन स्वीकृत कर दिया।
कलेक्टर ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए बैंक प्रबंधन को भी जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बैंक को दस्तावेजों की पुन: जांच और सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पोर्टल से जमीन की प्रविष्टि हटाई
जांच रिपोर्ट में पता चला कि खसरा और रकबा की फर्जी प्रविष्टि की गई। बैंक ने संपत्ति के स्वामित्व और दस्तावेजों की जांच किए बिना कर्ज दे दिया। इधर फर्जीवाड़े का पता चलने पर पोर्टल से जमीन की प्रविष्टि ही मिटा दी गई।
तखतपुर की एसडीएम ज्योति पटेल की जांच रिपोर्ट में पटवारी राजकुमार सवैया, उसके सहयोगी सतवंत टंडन और बैंक अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हुई है। कलेक्टर ने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टर ने आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को पत्र लिखकर लोन से जुड़े सभी दस्तावेजों की समीक्षा करने और जांच के निष्कर्ष बिलासपुर प्रशासन को सौंपने के लिए कहा है।