रायपुर। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह की बहाली का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) के आदेश को चुनौती दी थी। इस फैसले के बाद अब केंद्र सरकार के लिए जीपी सिंह को बहाल करना अनिवार्य हो गया है।

जानें क्या था पूरा मामला?

IPS जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के आरोप थे। जुलाई 2021 में एसीबी ने उनके पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्थानों पर छापा मारा था। छापे में 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे, जिसके बाद एसीबी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

इसके बाद, छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने 5 जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित किया और 8 जुलाई को उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे।

अगला कदम और कोर्ट की कार्रवाई

9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच की मांग की थी। जांच के बाद, 11 जनवरी 2022 को उन्हें नोएडा से गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में उन्हें मई 2022 में जमानत मिल गई। इसके बाद, सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें कंपलसरी रिटायर कर दिया, जबकि उनकी सेवा में आठ साल का वक्त शेष था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जीपी सिंह के वकील हिमांशु पांडे ने बताया कि कैट के आदेश को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जहां उनके पक्ष में फैसला आया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी जीपी सिंह के पक्ष में फैसला दिया। अब उनकी चार साल की सेवा बची हुई है और अब उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बचा है।