टीआरपी डेस्क। अब स्नातकोत्तर छात्रों को पढ़ाने के लिए किसी शैक्षिक डिग्री की जरूरत नहीं होगी। ऐसे व्यक्ति भी अध्यापन कर सकेंगे, जिनके पास कोई औपचारिक शिक्षा या डिग्री न हो, लेकिन उनके पास सामाजिक उपलब्धियां हों।

प्रोफेसर ऑन प्रैक्टिस योजना

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (रविवि) ने प्रोफेसर ऑन प्रैक्टिस नामक एक नई योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। इस योजना के तहत, उस विषय में उल्लेखनीय कार्य करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों को छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

  • इस कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए व्यक्ति की डिग्री या शैक्षणिक योग्यता मायने नहीं रखेगी।
  • केवल यह देखा जाएगा कि संबंधित क्षेत्र में व्यक्ति की सामाजिक उपलब्धियां क्या हैं।
  • ऐसे व्यक्तियों द्वारा कार्यक्षेत्र में आने वाली चुनौतियां, उनके समाधान और बेहतरीन कार्य तकनीकों के अनुभव छात्रों के साथ साझा किए जाएंगे।

इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान देने के बजाय पूरी तरह से व्यावहारिक ज्ञान पर फोकस किया जाएगा।

  • छात्रों को स्वतंत्र रूप से प्रश्न पूछने और अपनी शंकाओं का समाधान करने का अवसर मिलेगा।
  • व्याख्यान के माध्यम से वे जान सकेंगे कि अध्ययन के बाद क्षेत्रीय कार्य में उन्हें किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

वेतन और व्याख्यान की सीमा

  • प्रति व्याख्यान 2500 रुपये का मानदेय दिया जाएगा।
  • हर व्यक्ति को एक सत्र में अधिकतम 4 व्याख्यान देने की अनुमति होगी।
  • यह योजना फिलहाल समाजकार्य विभाग में लागू की गई है।

प्रथम चयनित व्यक्ति: पद्मश्री जागेश्वर यादव

समाजकार्य विभाग के लिए बिरहोर जनजाति की सेवा में जीवन समर्पित करने वाले पद्मश्री जागेश्वर यादव को चुना गया है। उन्होंने पिछड़ी जनजातियों की शिक्षा के लिए विशेष योगदान दिया है। उनकी सामाजिक उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

थ्योरी पाठ्यक्रम की कोई आवश्यकता नहीं

इस योजना के तहत चयनित व्यक्तियों को किसी थ्योरी पाठ्यक्रम के अध्यापन की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत व्यावहारिक शिक्षा पर दिए जा रहे जोर के अनुरूप है।