टीआरपी डेस्क। दुर्ग से विशाखापट्टनम के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस, पांच महीने के संचालन के बाद भी रेलवे के लिए लाभदायक साबित नहीं हो पाई है। यात्रियों की कमी और आर्थिक घाटे को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन के 16 कोच घटाकर 8 करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा है। वर्तमान में, ट्रेन में 70% सीटें खाली रह जाती हैं और औसतन केवल 30% यात्री सफर कर रहे हैं।

दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस में 2 एग्जीक्यूटिव क्लास और 14 चेयर कार कोच मिलाकर कुल 1,128 सीटें हैं। लेकिन टिकट की ऊंची कीमत और अपेक्षित सुविधाओं के बावजूद यह ट्रेन कभी भी 50% से अधिक यात्रियों से नहीं भर पाई। रेलवे को इससे भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
बिलासपुर-नागपुर वंदे भारत ट्रेन में भी पहले कोच घटाए जा चुके हैं, जिससे कुछ हद तक घाटा कम हुआ। अब इसी तरह का फैसला दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत पर लागू किया जा सकता है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि 8 कोच वाली ट्रेन में यात्रियों का प्रतिशत बढ़ने और नुकसान कम होने की संभावना है।
त्योहारी और छुट्टियों के दौरान कुछ यात्रियों ने इस ट्रेन को प्राथमिकता दी है। हालांकि, सामान्य दिनों में बुकिंग लगातार कम बनी हुई है। रेलवे बोर्ड जनवरी में कोच की संख्या घटाने का अंतिम निर्णय ले सकता है।
रायपुर-विशाखापट्टनम रूट पर वंदे भारत के अलावा आधा दर्जन से अधिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। समता एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में एसी और स्लीपर कोच में वेटिंग है, जबकि वंदे भारत में एसी थर्ड क्लास की सीटें आसानी से उपलब्ध रहती हैं।
रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि 8 कोच के साथ परिचालन से सीटें खाली नहीं रहेंगी। इससे परिचालन लागत कम होगी और ट्रेन से होने वाले घाटे में कमी आएगी।