रायपुर। कवासी लखमा सहित उनके बेटे और समर्थकों के यहां ED के छापे के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार में हुए कथित शराब घोटाले की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। दरअसल तब कवासी लखमा आबकारी मंत्री थे और ईडी ने शराब घोटाले की ECIR में उल्लेख किया था कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से जुड़े अवैध कमीशन के रूप में हर महीने 50 लाख रुपये मिलते थे, जो कि इस घोटाले के वित्तीय हिस्से का कमीशन था।

शराब घोटाले में मामला दर्ज करने के करीब डेढ़ वर्ष की जांच के बाद ED द्वारा तैयार की गई ECIR याने Enforcement Case Information Report (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) में अनेक खुलासे किये गए थे। बता दें कि इस प्रकरण में CSMCL के तत्कालीन MD अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और पूर्व IAS अनिल टुटेजा फिलहाल जेल में हैं। ED ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में सरकारी संरक्षण में शराब घोटाला हुआ है। इसमें 2161 करोड़ रुपए का अवैध रूप लेन देन हुआ है। इसमें नेता, और सरकारी अफसर शामिल रहे हैं।

70 लोगों के खिलाफ दर्ज है FIR

ईडी ने 70 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिनमें कवासी लखमा भी शामिल हैं। लखमा अशिक्षित हैं और वे हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते। ऐसे में राज्य के राजस्व से जुड़ा इतना अहम विभाग उनके जिम्मे देकर सत्ता के प्रमुख लोग उनकी आड़ में आबकारी कारोबार से जुड़े काम करते रहे। ED के बाद इस शराब घोटाले के मामले में ACB ने भी 70 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। ACB इस मामले में अलग से कार्रवाई कर रही है।

पूर्व आबकारी आयुक्त पर भी लटकी है तलवार

ED के मुताबिक ये पूरा सिंडिकेट सरकार के इशारों पर ही चलता रहा। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी इसकी जानकारी थी और कथित तौर पर कमीशन का बड़ा हिस्सा आबकारी मंत्री कवासी लखमा के पास भी जाता था। चार्जशीट के मुताबिक मंत्री कवासी लखमा और तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को 50-50 लाख रूपये हर महीने दिए जाते थे। इस मामले में अब तक पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास बचे हुए हैं और उनके ऊपर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

स्थानीय चुनाव पर पड़ेगा असर..?

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से ठीक पहले कवासी लखमा के बेटे और जिला पंचायत महल कवासी तथा नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू सहित अन्य के ठिकानों पर ईडी की रेड से बस्तर की राजनीति में हलचल मची हुई है। इस कार्रवाई न केवल सुकमा बल्कि बस्तर संभाग के निकायों की राजनीति पर बड़ा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। बीते विधानसभा की तरह स्थानीय चुनाव में भी भाजपा इसे कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्रचार में इस्तेमाल करेगी। बहरहाल ED द्वारा की जा रही छापेमारी में और कितने लोग लपेटे में आ रहे हैं, यह देखना अभी बाकी है।