0 राजस्व निरीक्षक भी आंदोलन में हुए शामिल

रायपुर। राजस्व पटवारी संघ के बैनर तले प्रदेशभर में कार्यरत पटवारियों ने ऑनलाइन कार्य का बहिष्कार कर दिया है। बीते 16 दिसंबर से शुरू किये गए इस हड़ताल के बाद राजस्व निरीक्षकों ने भी इन्हे समर्थन देते हुए ऑनलाइन संबंधी काम करना बंद कर दिया है। इसके चलते लोग नक्शा, खसरा और जमीनों से संबंधित अन्य कार्यों के लिए भटक रहे हैं। बटांकन और नामांतरण का कार्य भी प्रभावित हुआ है। राजस्व विभाग के अनुसार, प्रदेश भर में लंबित मामलों की संख्या 8 हजार से भी अधिक बढ़ गई है।
काम ऑनलाइन मगर पटवारियों को सुविधा नहीं
सरकार ने राजस्व संबंधी अधिकांश कार्यों को ऑनलाइन कर दिया है, मगर विडम्बना इस बात की है कि विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले पटवारियों को न तो कंप्यूटर दिए गए है और न ही इंटरनेट की सुविधा। पटवारी अब तक ऑनलाइन संबंधी कार्य अपने मोबाइल से करते रहे हैं। मगर अब उन्होंने इस काम का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया है। इनके आंदोलन शुरू करने के दो दिन बाद से ही राजस्व निरीक्षकों ने भी ऑनलाइन कार्यो का बहिष्कार कर दिया है।
पटवारियों की मांग है कि उन्हें अपने कार्य के लिए कंप्यूटर या लैपटॉप दिया जाये, साथ ही इंटरनेट की सुविधा भी दी जाये। ताकि वे अपना काम आसानी से कर सकें। यही मांग राजस्व निरीक्षकों की भी है।
भटक रहे हैं आवेदक
ऑनलाइन कार्य के पटवारियों के बहिष्कार के चलते खसरा, बी-वन, डिजिटल सिग्नेचर, धान बेचने, रकबा में सुधार जैसे काम ठप्प पड़ गए हैं। लोग अपने कामों को पूरा कराने के लिए पटवारी दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
बताते चलें कि इससे पूर्व प्रदेश भर के तहसीलदार भी इसी तरह की सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं। सरकार से आश्वासन मिलने के बाद भी उनकी मांगे पूरी नहीं की जा सकी है। अब निचले स्तर का अमला भी आंदोलन पर है। कुल मिलकर सरकार का राजस्व अमला बहुत ही कम सुविधाओं में काम कर रहा है। आज सरकारें डिजिटल इण्डिया का लक्ष्य लेकर चल रहीं हैं। ऐसे में अगर अपने अमले को इससे जुड़ी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गईं तो राजस्व संबंधी कामकाज की स्पीड पर ब्रेक लग जायेगा। सरकार को इस दिशा में विचार करने की जरुरत है।