भोपाल। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने 1 जनवरी से ई-ऑफिस प्रणाली को लागू कर दिया है। इस डिजिटल व्यवस्था के तहत मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय समेत सभी सरकारी विभाग पेपरलेस हो जाएंगे। कागजी फाइलों की जगह सभी दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड किए जाएंगे। नोटशीट अब डिजिटल रूप में भेजी जाएगी, जिससे भौतिक मूवमेंट की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। सबसे खास बात यह है कि किसी भी आगजनी या दुर्घटना के दौरान भी डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
ई-ऑफिस: तीन चरणों में होगा क्रियान्वयन

यह प्रणाली तीन चरणों में लागू की जाएगी।

  • पहला चरण: मंत्रालय में लागू।
  • दूसरा चरण: विभाग प्रमुखों के कार्यालयों तक विस्तार।
  • तीसरा चरण: जिला स्तर के कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली।
  • दूसरे और तीसरे चरण की तिथियां फिलहाल तय नहीं की गई हैं।

ई-ऑफिस व्यवस्था: क्या है और कैसे काम करेगा?

ई-ऑफिस एक डिजिटल प्रबंधन प्रणाली है, जो सरकारी फाइलों और दस्तावेजों को ऑनलाइन सुरक्षित और सुव्यवस्थित रखती है। अधिकारी और कर्मचारी कम्प्यूटर पर बैठकर फाइलें निपटाएंगे।

  • फाइलें किस अधिकारी के पास लंबित हैं, यह आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।
  • पुराने रिकॉर्ड खोजने में आसानी होगी।
  • किसी भी दुर्घटना में डेटा नष्ट होने का खतरा खत्म होगा।
  • सभी दस्तावेज़ एक सुरक्षित सर्वर पर संग्रहीत किए जाएंगे।
  • स्वत: डेटा सेव होने से डेटा लॉस की संभावना खत्म हो जाएगी।
  • उच्च स्तर पर निगरानी की सुविधा भी रहेगी।

ई-ऑफिस प्रणाली का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, डिजिटल सिस्टम से सरकारी कार्यप्रणाली तेज होगी और जनता को राहत मिलेगी। महिला, किसान, युवा और गरीब वर्गों के कल्याण के लिए डिजिटलीकरण से नई गति मिलेगी। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अपने-अपने कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली से काम शुरू कर दिया है।

डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम

मध्यप्रदेश में ई-ऑफिस लागू होने से सरकारी कार्यप्रणाली आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत होगी। वित्त, वन, कृषि, राजस्व और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग पहले से ई-ऑफिस 7.0 वर्जन पर काम कर रहे हैं। अब इस प्रणाली का विस्तार सभी विभागों और जिलों तक किया जाएगा।