टीआरपी डेस्क। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इंडी गठबंधन को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन का कोई स्पष्ट नेतृत्व, एजेंडा और बैठकें नहीं हो रही हैं, जिससे इसकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका मानना है कि अगर यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक था, तो अब इसे समाप्त कर देना चाहिए।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इंडी गठबंधन के गठन के समय इसका कोई स्पष्ट उद्देश्य या समय सीमा नहीं थी। वे इस बात से भी नाराज दिखे कि इस गठबंधन की कोई नियमित बैठकें नहीं हो रही हैं, और इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है कि इसके बाद की दिशा क्या होगी। उन्होंने कहा कि अगर यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिए था, तो इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए।

दिल्ली चुनाव पर उमर अब्दुल्ला का रुख

उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पर भी अपनी राय दी। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कुछ विशेष नहीं कहा, क्योंकि उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस का दिल्ली चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे से दूरी बनाए रखते हुए अपनी पार्टी के राज्य और स्थानीय मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।

विपक्षी दलों में एकजुटता की कमी

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच एकजुटता की कमी का मुद्दा भी उभर कर सामने आया है। दोनों ही दल अपने-अपने चुनाव लड़ रहे हैं, और पिछले लोकसभा चुनावों में भी पंजाब में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब विपक्षी दल एकजुट नहीं हैं, तो इंडी गठबंधन का कोई उद्देश्य नहीं बनता।

इंडी गठबंधन को लेकर ममता बनर्जी पहले ही अलग हो चुकी हैं, और अब अरविंद केजरीवाल भी गठबंधन में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हो रहे हैं। इस स्थिति में, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन इससे विपक्ष की एकजुटता में और भी दरारें आ गई हैं।

ईवीएम पर कांग्रेस की आलोचना

उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पर ईवीएम के मुद्दे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब पार्टी जीतती है तो ईवीएम को सही माना जाता है, लेकिन जब हार होती है तो उस पर दोष मढ़ दिया जाता है। उनका यह बयान इस बात को दर्शाता है कि विपक्षी दलों के बीच ईवीएम पर राजनीति हो रही है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है।

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेकां का गठबंधन

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के साथ गठबंधन किया था। हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा और उसने केवल छह सीटें जीतीं। वहीं, नेकां ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया और जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई।