BCCI Variable Pay Scheme: बीसीसीआई (BCCI) ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज में भारत की शर्मनाक हार के बाद टीम के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए एक मीटिंग आयोजित की थी। इस बैठक में भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर, चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर और कप्तान रोहित शर्मा शामिल हुए थे। बैठक के दौरान इन तीनों से टीम के प्रदर्शन पर सवाल-जवाब हुए थे। एक अहम सुझाव इस बैठक में सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर ही इंसेंटिव या वैरिएबल पे दिया जाए। यानी जिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन अच्छा होगा, उन्हें ही यह राशि मिलनी चाहिए।

प्रदर्शन आधारित सैलरी की दिशा में बड़ा कदम

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सुझाव का उद्देश्य खिलाड़ियों को ज्यादा जवाबदेह बनाना है और यदि उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं होता है, तो उनकी सैलरी में कटौती की जा सकती है। कॉर्पोरेट सेक्टर में भी ऐसा सिस्टम लागू होता है, जहां कर्मचारियों को उनके काम के आधार पर इंसेंटिव मिलता है। इस व्यवस्था को अब बीसीसीआई भी अपनाने पर विचार कर रहा है।

खिलाड़ियों के वेतन पर असर

नए सुझाव के मुताबिक, अगर खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं होता है, तो इसका सीधा असर उनकी सैलरी पर पड़ेगा। एक सूत्र के अनुसार, “यह सुझाव दिया गया है कि खिलाड़ियों को जवाबदेह ठहराया जाए, और अगर उनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं होता है, तो उन्हें वेतन में कटौती का सामना करना पड़े।”

बीसीसीआई की टेस्ट इंसेंटिव स्कीम

पिछले साल बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट के लिए एक परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव स्कीम शुरू की थी। इसके तहत, जो खिलाड़ी एक सीजन में 50 प्रतिशत से अधिक टेस्ट मैचों में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा बनेंगे, उन्हें प्रति मैच 30 लाख रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, अगर कोई खिलाड़ी एक सीजन में कम से कम 75 प्रतिशत मैचों में भाग लेता है, तो उसे प्रति मैच 45 लाख रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा। यह योजना बीसीसीआई के 40 करोड़ रुपये के फंड का हिस्सा थी, जिसे रेड-बॉल क्रिकेट के प्रति खिलाड़ियों का आकर्षण बढ़ाने के लिए पेश किया गया था, खासकर जब टी20 और आईपीएल के मुकाबले रेड-बॉल क्रिकेट कम कमाई वाला विकल्प बन गया है।

टीम प्रबंधन की चिंता

रिव्यू मीटिंग में चर्चा किए गए अन्य मुद्दों में कुछ खिलाड़ियों द्वारा टेस्ट क्रिकेट को कम महत्व देने और इसके लिए “इच्छा की कमी” पर भी बात हुई। टीम प्रबंधन का मानना है कि बीसीसीआई को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अगली पीढ़ी टेस्ट क्रिकेट और भारतीय टेस्ट कैप की अहमियत को समझे।