रायपुर। आज मध्य प्रदेश सरकार डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की नगरी महेश्वर में कर रही है। इससे पहले मध्य प्रदेश की सरकार जबलपुर में कैबिनेट की बैठक कर चुकी है। बता दें कि देवी अहिल्याबाई द्वारा महिला सशक्तिकरण, किसान-कल्याण की दिशा में कई काम किये। ऐसे में उनकी 300वीं जयंती के मौके पर आयोजित इस बैठक से मध्य प्रदेश की सरकार ने महिला नेतृत्व एवं किसान सशक्तिकरण के संबंध में बड़ा संदेश दिया है।

एक संत द्वारा दिए गए सुझाव पर अमल करते हुए सीएम मोहन यादव ने यह अभिनव पहल की है। इन बैठकों का आयोजन राजधानी भोपाल से बाहर विभिन्न जिलों में किया गया, ताकि स्थानीय जरूरतों और जनता की समस्याओं को मौके पर ही समझा जा सके।

मंत्रिमंडल अपनी राजधानी की सीमाओं को छोड़कर ग्रामीण और शहरी इलाकों में जाकर बैठ रहा है। इससे न केवल स्थानीय प्रशासन को सीधा फायदा मिल रहा है, बल्कि सरकार के साथ जनता की भागीदारी भी बढ़ रही है।

मध्य प्रदेश सरकार की तुलना छत्तीसगढ़ से की जाए तो दोनों ही राज्यों में एक ही दिन भाजपा को बहुमत मिला और भाजपा की सरकार बनी। छत्तीसगढ़ सरकार गठन के साथ ही नक्सलवाद के खात्मे का वादा कर रही है। इस दिशा में कदम भी उठाए जा रहे हैं। राजधानी में आयोजित कैबिनेट की बैठकों में नक्सलवाद पर चर्चा भी होती रही है मगर आज तक सरकार रायपुर से बाहर नहीं निकल सकी है। सवाल यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर अपने मंत्रिमंडल को स्थानीय स्तर तक ले जाने की योजना कब बनाएगी?

जमीनी हकीकत से जोड़ेगी डेस्टिनेशन कैबिनेट 

विशेषज्ञों का मानना है कि डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक न केवल सरकार को जमीनी हकीकत से जोड़ती हैं, बल्कि जनता के बीच यह संदेश भी देती हैं कि सरकार उनके दरवाजे तक आ रही है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहां बस्तर में नक्सलवाद की समस्या ने ग्रामीणों का जीवन दूभर कर रखा है वहां ऐसी बैठकों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है।

पूरे भारत में यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद के खात्मे को लेकर वाकई गंभीर है। राजधानी से दूर बस्तर में कैबिनेट की बैठक के आयोजन से नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को नया बल मिलेगा।

छत्तीसगढ़ सरकार की चुप्पी

टीआरपी पहले ही कैबिनेट की बैठक बस्तर में कराने का सुझाव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को किरण सिंह देव को दे चुका है। वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह कदम न केवल जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को दर्शाएगा, बल्कि विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी मदद करेगा। अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में क्या निर्णय लेती है।

अगर छत्तीसगढ़ सरकार राजधानी रायपुर से बाहर कैबिनेट बैठक आयोजित करने का निर्णय लेती है, तो यह राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विकास, नक्सलवाद नियंत्रण, पर्यटन, और स्थानीय जनता में विश्वास बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

इस स्थानों पर डेस्टिनेशन बैठक कर सकती है सरकार

1. बस्तर (जगदलपुर)

नक्सलवाद: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की उपस्थिति से स्थानीय लोगों में विश्वास बढ़ेगा और यह संदेश जाएगा कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पर्यटन: चित्रकूट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफाएं, और नजदीक राष्ट्रीय उद्यान जैसे स्थानों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

स्थानीय विश्वास: आदिवासी समुदायों को सीधे संवाद का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान होगा।

2. दंतेवाड़ा

नक्सलवाद: यह इलाका नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। यहां कैबिनेट बैठक से सरकार की मजबूत उपस्थिति का संकेत जाएगा।

ट्रस्ट बिल्डिंग: स्थानीय आदिवासी समुदायों को यह महसूस होगा कि सरकार उनकी भलाई के लिए काम कर रही है।

पर्यटन: मां दंतेश्वरी मंदिर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की पहचान धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में और अधिक मजबूत होगी।

3. सरगुजा (अंबिकापुर)

पर्यटन: मैनपाट, जिसे छत्तीसगढ़ का “मिनी तिब्बत” कहा जाता है, पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावनाएं रखता है।

सामाजिक जुड़ाव: उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में आदिवासी और ग्रामीण जनता की मांगों और समस्याओं पर चर्चा के लिए सरकार के पास बेहतर अवसर होगा।

सतत विकास: कृषि और वानिकी में सुधार पर चर्चा हो सकती है।

4. कांकेर

नक्सल प्रभावित क्षेत्र: यह इलाका नक्सलवाद और विकास की चुनौतियों का सामना कर रहा है। यहां बैठक करने से सरकार के इरादे स्पष्ट होंगे।

पर्यटन: कांकेर का ऐतिहासिक किला और घने जंगल पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं।

स्थानीय उत्पाद: लघु वनोपज और हस्तशिल्प के विकास के लिए योजनाओं पर चर्चा हो सकती है।

5. बिलासपुर

विकास का केंद्र: यह छत्तीसगढ़ की न्याधानी एक प्रमुख शैक्षिक और आर्थिक केंद्र है। यहां बैठक से औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे को मजबूती मिल सकती है।

पर्यटन: आसपास का अचानकमार अभयारण्य और रतनपुर मंदिर पर्यटन के लिए संभावनाएं प्रदान करता है।

6. कोरबा

औद्योगिक विकास: कोरबा कोयला और ऊर्जा उत्पादन का केंद्र है। यहां बैठक से औद्योगिक और पर्यावरणीय समस्याओं पर चर्चा हो सकती है।

पर्यटन: हसदेव नदी और सतरेंगा बैकवाटर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

डेस्टिनेशन कैबिनेट से अन्य लाभ

  • सरकार की उपस्थिति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास का संदेश देगी। – –
  • इससे स्थानीय लोगों का विश्वास सरकार के प्रति और मजबूत होगा।
  • क्षेत्रीय पर्यटन स्थलों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
  • नये पर्यटन सर्किट बनाए जा सकते हैं।
  • सरकार और जनता के बीच संवाद बढ़ेगा।
  • क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान त्वरित और प्रभावी तरीके से हो सकेगा।
  • कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे पर सीधा ध्यान दिया जा सकता है।
  • लोकल हैंडीक्राफ्ट और आदिवासी उत्पादों को मार्केटिंग और प्रमोशन के अवसर मिलेंगे।