टीआरपी डेस्क। उत्तराखंड ने देश में पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार (27 जनवरी) को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन से इसकी घोषणा की और UCC से जुड़े नियमों की जानकारी देने के लिए एक पोर्टल https://ucc.uk.gov.in लॉन्च किया। इस ऐतिहासिक कदम के साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू होगा।

सीएम धामी ने कहा, UCC किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा। उन्होंने इसे राज्य और देश दोनों के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। सीएम ने कहा कि यह कानून नागरिकों को समान अधिकार और जिम्मेदारी देगा।

शादी और तलाक के लिए एक समान नियम

UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में शादी और तलाक से जुड़े सभी नियम समान होंगे। चाहे व्यक्ति हिंदू हो या मुस्लिम, शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। शादी के छह महीने के भीतर पंजीकरण न कराने पर ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, 2010 से पहले हुई शादियों पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा। साथ ही महिलाओं को तलाक और विवाह से जुड़े समान अधिकार दिए जाएंगे।

संपत्ति में समान अधिकार

नए कानून के तहत संपत्ति के बंटवारे में बेटे और बेटियों को बराबर हिस्सेदारी मिलेगी। जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा। महिलाओं को भी संपत्ति में पुरुषों के समान अधिकार मिलेंगे, जिससे संपत्ति से जुड़े मामलों में भेदभाव खत्म होगा।

लिव-इन रिलेशनशिप के लिए नियम

UCC में लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है। इस प्रकार के संबंध में रहने वाले जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। 18 से 21 साल की आयु के जोड़ों को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को वैध माना जाएगा।

धार्मिक परंपराओं में कोई बदलाव नहीं

भले ही UCC के तहत कई बड़े बदलाव किए गए हैं, लेकिन धार्मिक परंपराओं और पूजा-पद्धतियों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। शेड्यूल ट्राइब्स को भी इस कानून से बाहर रखा गया है, जिससे राज्य की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को संरक्षित रखा जा सके।