नई दिल्ली। देश भर में उच्च शिक्षण संस्थानों की ग्रेडिंग के लिए NAAC के जरिये होने वाली जांच में बड़े भ्रष्टचार का खुलासा CBI ने किया है। सीबीआई ने रिश्वत लेकर शिक्षण संस्थानों को ए++ रेटिंग देने के मामले में यूपी के गौतमबुद्धनगर समेत देशभर में 20 ठिकानों पर छापे मारे। इस मामले में की गई छापेमारी में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की इंस्पेक्शन कमेटी के अध्यक्ष और जेएनयू के एक प्रोफेसर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस तलाशी अभियान में 37 लाख रूपये नगद और आपत्तिजनक सामग्रियों की जब्ती हुई है।

अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के कुलपति और दो अन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
क्या होती है NAAC की मान्यता ?
NAAC प्रमाणन देश भर में उच्च संस्थानों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा के मानक का मूल्यांकन करने और फिर उसे गारंटी देने का एक उपाय है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि प्रत्येक विश्वविद्यालय और संकाय को NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) नामक परिषद से प्रमाणन प्राप्त करना होगा ।

NAAC मान्यता का उद्देश्य शिक्षा के गुणवत्ता मापदण्ड में सुधार लाना है। NAAC मान्यता प्राप्त संस्थान उन संस्थानों की श्रेणी में आते हैं जो छात्रों को “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” प्रदान करते हैं । इसलिए, जो संस्थान सर्वोत्तम प्रथाओं को सुनिश्चित करके छात्रों के सीखने के परिणामों को अधिकतम करने का लक्ष्य रखते हैं, उन्हें NAAC मान्यता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। NAAC द्वारा संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर उन्हें अलग-अलग ग्रेड दिया जाता है।
A++ मान्यता का खेल
जांच एजेंसी ने NAAC की रेटिंग में घोटाले का खुलासा करते हुए आंध्र प्रदेश में गुन्टूर के कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के पदाधिकारियों और एनएएसी निरीक्षण टीम के सदस्यों समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।
मामले में सीबीआई के अनुसार, यह शिक्षण संस्थान रिश्वत देकर ए++ रेटिंग हासिल करने की कोशिश कर रहा था। इस घोटाले में एनएएसी निरीक्षण टीम के अध्यक्ष और कई सदस्य भी शामिल पाए गए। CBI ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
FIR में इनके नाम भी शामिल
सीबीआई ने कहा कि केएलईएफ के अध्यक्ष कोनेरू सत्यनारायण, एनएएसी के पूर्व उप सलाहकार एल मंजूनाथ राव, बेंगलुरु विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम. हनुमंथप्पा और एनएएसी के सलाहकार एम एस श्यामसुंदर का नाम भी बतौर आरोपी एफआईआर में दर्ज किया गया है। हालांकि, उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
रिश्वत देना पड़ा भारी, कुलपति भी गिरफ्तार
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि एनएएसी इंस्पेक्शन कमेटी के सदस्यों को (ए++) ‘एक्रेडिटेशन’ (मान्यता) के लिए रिश्वत देने में कथित संलिप्तता के लिए केएलईएफ के कुलपति जी.पी. सारधी वर्मा, केएलईएफ के उपाध्यक्ष कोनेरू राजा हरीन, केएल विश्वविद्यालय, हैदराबाद परिसर के निदेशक ए. रामकृष्ण को गिरफ्तार किया है।

एजेंसी ने नैक की इंस्पेक्शन कमेटी के अध्यक्ष समरेंद्र नाथ साहा को भी गिरफ्तार किया है, जो रामचन्द्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।
इनकी भी हुई गिरफ्तारी
एजेंसी ने कहा कि कमेटी के सदस्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव सिजारिया, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के डीन डी. गोपाल, जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय के डीन राजेश सिंह पवार, जी एल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के निदेशक मानस कुमार मिश्रा, दावणगेरे विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गायत्री देवराज को भी गिरफ्तार किया गया है।
गुंटूर दौरे पर गए और ली रिश्वत
आरोपितों में संबलपुर विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी साइंस विभाग के मुख्य प्रोफेसर डॉ. बुलु महारणा भी शामिल हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके आवास को सील कर दिया गया है। बताया गया है कि प्रोफेसर डॉ. महारणा दिल्ली विश्वविद्यालय एनएएसी टीम के साथ गुंटूर गए थे, जहां उन्होंने रिश्वत लिया था।
बिलासपुर में भी हुई छापेमारी
एजेंसी ने बताया कि मामले के संबंध में चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतमबुद्धनगर और नई दिल्ली में 20 स्थानों पर तलाशी ली जा रही है। सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘37 लाख रुपये नकद, छह लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो मोबाइल फोन और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए हैं।’’