रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में दवा खरीदी घोटाले की जांच तेज हो गई है। 400 करोड़ से अधिक के इस घोटाले में अब तक तीन आईएएस अफसरों समेत कई स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता के साक्ष्य मिले हैं। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने तीनों आईएएस अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर तलब किया है।

इन अधिकारियों पर है जांच की आंच?
ईओडब्ल्यू-एसीबी के सूत्रों के मुताबिक, आईएएस अधिकारी चंद्रकांत वर्मा, सीजीएमएससी की एमडी पद्मिनी भोई के अलावा कई अन्य अधिकारी जो विभाग में जिम्मेदार पदों पर थे उनके नाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और कॉरपोरेशन के अन्य अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में है।
बड़े सप्लायर की गिरफ्तारी और घोटाले का खुलासा
जांच एजेंसी ने राज्य के बड़े मेडिकल सप्लायर शशांक चोपड़ा को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। उसकी मोक्षित कॉरपोरेशन से जुड़े प्रतिष्ठानों पर छापेमारी के दौरान अहम दस्तावेज मिले हैं। पूछताछ में चोपड़ा ने कई नए खुलासे किए हैं, जिससे घोटाले का दायरा और विस्तृत हो गया है।
कैसे हुआ घोटाला?
स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सकों ने बायो केमेस्ट्री रीएजेंट और उपकरणों की जरूरत न होने की जानकारी दी थी। बावजूद इसके सीजीएमएससी द्वारा लगातार इनकी खरीद की जाती रही और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जबरदस्ती खपाया गया। मोक्षित कॉरपोरेशन को 50 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया, जबकि घोटाले की शिकायतें पहले से लंबित थीं। जांच में सामने आया है कि चोपड़ा की कंपनी का सीजीएमएससी में एकाधिकार था, और उसने मनमाने तरीके से सप्लाई ऑर्डर प्राप्त किए।
बता दें कि आने वाले दिनों में और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। ईओडब्ल्यू-एसीबी के पास दस्तावेजी सबूत हैं, जिसके आधार पर जल्द ही कुछ बड़ी गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर और स्वतंत्र पत्रकार देवेंद्र गुप्ता पहले से इस घोटाले को उजागर करने में सक्रिय रहे हैं।
दवा खरीदी घोटाला छत्तीसगढ़ का यह अब तक का सबसे बड़ा दवा घोटाला माना जा रहा है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, कई बड़े नामों की भूमिका उजागर होती जा रही है। अब देखना यह होगा कि कौन-कौन इस घोटाले में दोषी ठहराए जाते हैं और किन पर कार्रवाई होती है।