टीआरपी डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब सभी भारतीय बैंकों के लिए ‘bank.in’ और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFCs) के लिए ‘fin.in’ डोमेन को अनिवार्य किया जाएगा। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि अप्रैल 2025 से ‘bank.in’ डोमेन का रजिस्ट्रेशन शुरू होगा, इसके बाद ‘fin.in’ डोमेन को भी लागू किया जाएगा। इस फैसले से डिजिटल बैंकिंग अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होगी।

साइबर फ्रॉड से निपटने की नई रणनीति
भारत में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। RBI का मानना है कि नए डोमेन लागू करने से फर्जी वेबसाइटों और धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। यह कदम ग्राहकों को केवल अधिकृत और सुरक्षित प्लेटफॉर्म से लेन-देन सुनिश्चित करेगा।
IDRBT को मिला रजिस्ट्रार का जिम्मा
भारतीय बैंकिंग और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में IDRBT (Institute for Development and Research in Banking Technology) को ‘bank.in’ और ‘fin.in’ डोमेन का एक्सक्लूसिव रजिस्ट्रार बनाया गया है। सभी भारतीय बैंक अब अपने आधिकारिक वेबसाइट को ‘bank.in’ डोमेन पर माइग्रेट करेंगे, जिससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित ऑनलाइन बैंकिंग का अनुभव मिलेगा।
AFA प्रणाली होगी अनिवार्य
RBI ने अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन लेन-देन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रमाणिकता कारक (Additional Factor of Authentication – AFA) लागू करने का प्रस्ताव रखा है। यह फीचर विशेष रूप से विदेशी कार्ड नॉट प्रेजेंट (CNP) ट्रांजेक्शंस में साइबर धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी
RBI ने अगले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो इस वर्ष के 6.4% से अधिक है। डिजिटल सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के ये प्रयास अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक साबित होंगे।
ब्याज दरों में कटौती का ऐतिहासिक फैसला
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पांच साल में पहली बार रेपो दर में 25 आधार अंकों (bps) की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है। यह फैसला नकदी प्रवाह को बढ़ावा देगा और उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करेगा, जिससे डिजिटल बैंकिंग को भी मजबूती मिलेगी।
नए डोमेन से बैंकिंग होगी अधिक सुरक्षित
RBI के इस फैसले से बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। ‘bank.in’ और ‘fin.in’ डोमेन से ग्राहक केवल अधिकृत संस्थानों के साथ ही लेन-देन कर पाएंगे, जिससे डिजिटल धोखाधड़ी पर प्रभावी लगाम लगेगी।