टीआरपी डेस्क। वैलेंटाइन वीक की शुरुआत 7 फरवरी से होती है, जिसे रोज डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी जोड़े गुलाब के फूल देकर अपने दिल की बात कहने की परंपरा निभाते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि प्यार जताने के लिए गुलाब का ही चयन क्यों किया गया? इसका इतिहास और महत्व क्या है? आइए, जानते हैं इस खास दिन से जुड़ी दिलचस्प बातें।

रोज डे का ऐतिहासिक महत्व
गुलाब को प्रेम का प्रतीक माना जाता है और इसकी जड़ें प्राचीन ग्रीक और रोमन सभ्यताओं तक जाती हैं। ग्रीक मान्यताओं के अनुसार, प्रेम की देवी एफ्रोडाइट ने लाल गुलाब को जन्म दिया था। किंवदंती है कि यह फूल एफ्रोडाइट के आंसुओं और उनके प्रेमी एडोनिस के खून से सिंचित मिट्टी से उगा था।
वहीं, रोमन पौराणिक कथाओं में, गुलाब को प्रेम और सौंदर्य की देवी वीनस (शुक्र) से जोड़ा गया है। प्राचीन रोम में इसे प्रेम, जुनून और गहरे संबंधों का प्रतीक माना जाता था।
गुलाब और शेक्सपियर का कनेक्शन
प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक विलियम शेक्सपियर ने भी अपने मशहूर नाटक रोमियो और जूलियट में गुलाब का जिक्र किया है। जूलियट कहती है: “That which we call a rose by any other name would smell as sweet.” अर्थात, “गुलाब को किसी और नाम से भी पुकारें, तो भी उसकी महक वैसी ही रहेगी।” इस पंक्ति में गुलाब को रोमियो के प्रेम का प्रतीक बताया गया है, जो किसी भी सामाजिक और जातिगत सीमाओं से परे है।
विक्टोरियन युग और रोज डे का प्रचलन
ऐसा माना जाता है कि विक्टोरियन काल में गुलाब देकर प्रेमी जोड़े अपने प्यार का इजहार किया करते थे। उस समय भावनाओं को खुलकर व्यक्त करना समाज में उचित नहीं माना जाता था, इसलिए प्रेमी गुलाब के फूलों के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त करते थे। तभी से गुलाब देने का यह चलन लोकप्रिय हुआ और आगे चलकर 7 फरवरी को रोज डे के रूप में मनाया जाने लगा।
रोज डे का महत्व और गुलाब के रंगों का अर्थ
रोज डे पर प्रेमी अलग-अलग रंगों के गुलाब देकर अपने जज्बात जाहिर करते हैं। हर रंग का गुलाब एक अलग भावना को दर्शाता है:
- लाल गुलाब – सच्चे प्यार और रोमांस का प्रतीक
- पीला गुलाब – दोस्ती और खुशी का प्रतीक
- सफेद गुलाब – शांति और नई शुरुआत का प्रतीक
- गुलाबी गुलाब – प्रशंसा और सम्मान का प्रतीक
- नारंगी गुलाब – जुनून और ऊर्जा का प्रतीक