रायपुर। छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) में फिर से एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। प्रदेश के कई निजी अस्पतालों ने इस योजना का दुरुपयोग कर सरकार से करोड़ों रुपये का फर्जी क्लेम किया। ऐसे ही 28 अस्पतालों में की गई छापेमारी के बाद 15 अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया है, वहीं कई अन्य को निलंबित किया गया और कुछ को चेतावनी दी गई है। इनमें बालको हॉस्पिटल, आरोग्या, शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज, रामकृष्ण केयर, एसएससी हर्ट अस्पताल, बिलासपुर के मार्क, शिशु भवन और महादेव जैसे अस्पताल भी शामिल हैं।

केंद्र से मिली सूचना के आधार पर हुई छापेमारी
दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से छत्तीसगढ़ को ऐसे अस्पतालों की लिस्ट कुछ इनपुट के साथ भेजी गई थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया के निर्देश पर हेल्थ कमिश्नर डॉ. प्रियंका शुक्ला की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम गठित की गई। 29 जनवरी को 14 टीमों ने एक साथ रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर सहित आसपास के के निजी अस्पतालों पर छापेमारी की।
छापे की यह कार्यवाही बड़े ही गोपनीय ढंग से की गई, जिसके चलते अस्पतालों को गड़बड़ी छुपाने का कोई मौका नहीं मिला। इस दौरान रिकॉर्ड जब्त किए गए और सभी दस्तावेजों की गहन जांच की गई।
इस तरह की मिली गड़बड़ियां
जांच में अधिकांश अस्पतालों में आयुष्मान योजना में मरीजों से नगद पैसा लेने, एमबीबीएस डॉक्टर का नहीं होना, अस्पताल में नर्स का नहीं होना और पैथो जांच का स्केन्ड सिग्नेचर वाला रिपोर्ट मिला। नियमानुसार पैथो टेस्ट का ऑरिजिनल सिग्नेचर की रिपोर्ट होनी चाहिए। इन निजी अस्पतालों ने गरीबों के इलाज के नाम पर फर्जी क्लेम कर सरकारी कोष को लूटा। कई अस्पताल बिना डॉक्टर के मिले, तो बिलासपुर के मार्क अस्पताल में निरीक्षण के समय एमबीबीएस डॉक्टर के बजाए आयुर्वेदिक डॉक्टर मिले। स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम ने अस्पतालों में छापेमारी कर झूठे दस्तावेज और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया।
अस्पताल में मरीज कम पर इंट्री ज्यादा की
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अस्पतालों के रजिस्टर में मरीजों की ज्यादा संख्या की इंट्री की गई थी, मगर अस्तपाल में उतने मरीज मिले नहीं। अर्थात ज्यादा मरीज दिखाकर आयुष्मान योजना को चूना लगाया गया।
स्वस्थ बच्चों को बीमार बताकर किया इलाज
जांच के दौरान टीमों को यह गड़बड़ी भी मिली कि कई अस्पतालों में स्वस्थ बच्चों को बीमार बताकर NICU में डाल दिया गया। दरअसल कई अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी फ्री है। ऐसे मामलों में आयुष्मान से वसूली के लिए स्वस्थ बच्चों को भी बीमार बताकर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है। जानकारी मिली है कि में साढ़े तीन किलो के बच्चे को भी बीमार बताकर ICU में डाल दिया गया। ऐसे अस्पतालों पर भी गाज गिरी है।
इन अस्पतालों पर गिरी गाज
छापेमारी के दौरान जिन अस्पतालों में गड़बड़ियां मिलीं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जवाब मिलने के बाद स्वास्थ्य संचालक डॉ0 प्रियंका शुक्ला ने गंभीर गड़बड़ियों वाले 15 अस्पतालों को आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया। इन सभी को राज्य सरकार के इम्पेनल लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। ये है इन अस्पतालों की सूची :
- श्री मंगला हॉस्पिटल बिलासपुर
- मोरे हॉस्पिटल रायपुर
- गुडविल मेडिकल साइंस रायपुर
- अग्रवाल हॉस्पिटल रायपुर
- स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल भिलाई
- मार्क हॉस्पिटल बिलासपुर
- एसआर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर दुर्ग
- रामकथा हॉस्पिटल रायपुर
- श्री कृष्णा हॉस्पिटल बिलासपुर
- महादेव हॉस्पिटल बिलासपुर
- एसएमसी हेल्थ इंस्टीट्यूट एंड आईवीएफ़ रिसर्च सेंटर रायपुर
- कान्हा चिल्ड्रन हॉस्पिटल रायपुर
- नोबल मेडिकेयर एण्ड रिसर्च सेंटर बिलासपुर
- हाई टेक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल दुर्ग
- श्री श्याम हाॅस्पिटल रायपुर
इन 8 अस्पतालों का किया गया निलंबन
विभाग ने गड़बड़ी वाले 8 अस्पतालों को 3 से 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है, यानी ये अस्पताल इस दौरान आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं कर पाएंगे।
- रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर
- श्री साईं हॉस्पिटल बिलासपुर
- मातृ स्मृति हॉस्पिटल रायपुर
- पल्स हॉस्पिटल दुर्ग
- आरोग्य हॉस्पिटल रायपुर
- आराध्या हॉस्पिटल यूनिट ऑफ आराध्या हेल्थ केयर बिलासपुर
- जुनेजा आई हॉस्पिटल बिलासपुर
- शिव शक्ति हॉस्पिटल बिलासपुर
इन अस्पतालों को चेतावनी देकर छोड़ा
जिन अस्पतालों में कम गड़बड़ियां मिलीं उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी पत्र जारी किया है। ये हैं ऐसे अस्पताल :
1.अशोक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड, रायपुर
- बालको मेडिकल सेंटर, रायपुर
- श्री शिशु भवन, बिलासपुर
- श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, दुर्ग
- यशोदानंदन चिल्ड्रन हॉस्पिटल, दुर्ग
घूस देने का प्रयास रहा विफल
जांच के दौरान कुछ अस्पताल प्रबंधकों ने रिश्वत देकर मामला दबाने की कोशिश की, लेकिन स्वास्थ्य सचिव के सख्त आदेशों के चलते टीम ने पारदर्शिता बनाए रखी। एक अधिकारी ने तो बताया कि “हमें लाखों रुपये ऑफर किए गए, लेकिन हमने सच को सामने लाने का फैसला किया।”
जिन्होंने रायपुर में ‘भेंट’ दी वे बच गए
हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि पहले की तरह इस बार भी कुछ अस्पताल संचालकों ने आयुष्मान के जिम्मेदार अफसरों को ‘भेंट’ देकर अपनी गर्दन बचा ली। डॉक्टरों के बीच चर्चा है कि जिन अस्पताल संचालकों ने रायपुर आकर ‘मुलाकात’ कर ली उन्हें कार्यवाही से बचा लिया गया।
फर्जी क्लेम की होगी रिकवरी
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन अस्पतालों ने गलत तरीके से क्लेम (False Claim) किया है, उनसे पूरी रकम वसूली जाएगी। घोटाले में संलिप्त अस्पतालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।