रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगर निगम चुनावों में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया, जबकि कांग्रेस के हाथ से पूरी तरह सत्ता फिसल गई। यह हार विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के लिए तीसरा बड़ा झटका है। आइए जानते हैं कि आखिर कांग्रेस को इतनी करारी शिकस्त क्यों मिली।

  1. गुटबाजी बनी कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन

कांग्रेस के अंदर गुटबाजी हावी रही, टिकट वितरण से लेकर प्रचार अभियान तक पार्टी एकजुट नहीं दिखी। कई वरिष्ठ नेता प्रचार में देरी से शामिल हुए, जिससे जनता में गलत संदेश गया। अंतिम चरण में कांग्रेस ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की, लेकिन तब तक जनता का रुख बदल चुका था।

  1. जातिगत समीकरण साधने में नाकाम

टिकट वितरण में कांग्रेस ने जातिगत संतुलन पर ध्यान नहीं दिया, जबकि बीजेपी ने सोची-समझी रणनीति अपनाई। स्थानीय प्रभावशाली नेताओं की पसंद को टिकट दिया गया, जिससे पार्टी के मजबूत वोट बैंक में सेंध लग गई। असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं ने बगावत कर चुनाव लड़ा, जिससे पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ।

  1. जनता तक नहीं पहुंचा घोषणा पत्र

कांग्रेस ने चुनाव से पहले घोषणा पत्र जारी किया, लेकिन उसका प्रचार कमजोर रहा।बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र को घर-घर तक पहुंचाया, जिससे जनता को उनकी नीतियों पर ज्यादा भरोसा हुआ। कांग्रेस उन इलाकों में ज्यादा फोकस करती रही जहां पहले से उसका समर्थन था, जिससे नए मतदाता आकर्षित नहीं हुए।

  1. नाराज कार्यकर्ताओं को नहीं मना सकी कांग्रेस

कांग्रेस के कई कार्यकर्ता टिकट वितरण से नाराज थे और पार्टी ने उन्हें मनाने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। चुनाव के बाद कांग्रेस ने 18 नेताओं का निलंबन रद्द कर उन्हें वापस लिया, लेकिन यह फैसला पहले लिया जाता तो स्थिति अलग हो सकती थी। बागी नेता मैदान में डटे रहे, जिससे कांग्रेस को सीधा नुकसान उठाना पड़ा।

  1. नेतृत्व की विफलता

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज प्रभावी नेतृत्व देने में असफल रहे। उम्मीदवारों के चयन में बहुत अधिक देरी हुई, जिससे रणनीति बनाने का समय नहीं मिला। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव लगातार कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के संपर्क में रहे, जिससे बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई।