टीआरपी डेस्क। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने वित्तीय अनुशासन को सख्त करने के लिए एक और बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य सरकार के किसी भी विभाग को 1 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च करने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी।

वित्त विभाग ने नई सरकार के गठन के बाद इस दिशा में एक आंतरिक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा वित्तीय स्थिति और बेहतर नकदी प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए बड़े खर्चों से पहले अनिवार्य अनुमति लेनी होगी।
किन खर्चों पर लागू नहीं होगा यह आदेश?
हालांकि, यह निर्देश कुछ आवश्यक खर्चों पर लागू नहीं होगा। इनमें वेतन और भत्ते (बकाया सहित), चिकित्सा प्रतिपूर्ति, सुरक्षा और स्वच्छता, बिजली और पानी आपूर्ति, टेलीफोन, डाक शुल्क, सरकारी वाहनों का रखरखाव और अन्य छोटे लेकिन जरूरी खर्च शामिल हैं।
वित्त विभाग ने और क्या कहा?
बजट प्रभाग के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों और विधवाओं की पेंशन, दिव्यांग व्यक्तियों के भत्ते, पारिवारिक लाभ योजना के तहत सहायता राशि और काउंसिल बिलों के भुगतान के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
इसके अलावा, संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिव को खर्च की स्वीकृति देने के बाद पूरी फाइल भेजने के बजाय खर्च की प्रकृति और अनुमानित राशि का संक्षिप्त विवरण वित्त विभाग को पत्र के माध्यम से भेजना होगा।
सीएम रेखा गुप्ता का विपक्ष पर हमला
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आप पर निशाना साधते हुए इसे “धरना-प्रदर्शन करने वाली पार्टी” करार दिया। उन्होंने विपक्षी विधायकों के निलंबन पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा लगाए गए ‘तानाशाही’ के आरोपों को खारिज किया और कहा कि सरकार जल्द ही 2,500 रुपये की महिला सहायता योजना लागू करेगी।