बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में नौकरी का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपयों की ठगी के मामले लगभग हर रोज सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक प्रकरण में भाई-बहन से ठगी करने वाले आरोपी प्रकाश कुमार सोनवानी को बिलासपुर जिला न्यायालय ने तीन साल की कैद और आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। आरोपी ने नौकरी दिलाने के नाम पर इनसे 11 लाख रुपये ऐंठे थे।

यह मामला वर्ष 2016 का है। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पूजा अग्रवाल ने जानकारी दी कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र के निवासी मोहम्मद शब्बीर की बहन रूही बेगम और भाई मोहम्मद आफताब सरकारी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। शब्बीर की पहले से ही राधेश्याम श्रीवास से जान-पहचान थी। राधेश्याम को मालूम था कि शब्बीर के भाई-बहन सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं।
आरोपी को बताया मंत्री का पीए
उसने इस जानकारी का लाभ उठाते हुए शब्बीर को बताया कि उसकी एक बड़े मंत्री के पीए, प्रकाश कुमार सोनवानी से अच्छी पहचान है, जो पैसे लेकर सरकारी नौकरी दिलवा सकता है। उसने यह भी कहा कि मंत्री कोटे की चार सीटें छात्रावास अधीक्षक पद के लिए सुरक्षित हैं और यदि पैसा दिया जाए तो आफताब और रूही को आसानी से चयनित कराया जा सकता है।
शब्बीर ने राधेश्याम की बातों पर विश्वास कर लिया और फिर राधेश्याम ने पूरे परिवार की मुलाकात प्रकाश सोनवानी से कराई। इस बैठक में प्रकाश ने भी सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया। चूंकि राधेश्याम से पहले से परिचय था, इसलिए परिवार ने प्रकाश पर भरोसा कर लिया और अलग-अलग समय पर कुल 11 लाख रुपये दे दिए। यह रकम कुछ नकद और कुछ बैंक खाते में जमा कराई गई थी।
सच्चाई तब सामने आई जब नौकरी के परिणाम घोषित हुए और रूही तथा आफताब का चयन नहीं हुआ। जब परिवार ने राधेश्याम और प्रकाश से संपर्क किया तो राधेश्याम बहाने बनाने लगा, जबकि प्रकाश अचानक लापता हो गया। तब जाकर परिवार को एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो चुकी है, जिसके बाद उन्होंने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई।
एक आरोपी से हुआ समझौता
पुलिस ने जांच के बाद राधेश्याम और प्रकाश के खिलाफ धोखाधड़ी (धारा 420, 34 भादवि) का मामला दर्ज किया। सुनवाई के दौरान राधेश्याम ने परिवार को 6 लाख रुपये वापस कर समझौता कर लिया, जिसके चलते उसका मामला खत्म हो गया, लेकिन प्रकाश सोनवानी के खिलाफ मुकदमा जारी रहा।
अदालत ने गवाहों और प्रमाणों के आधार पर प्रकाश सोनवानी को दोषी करार देते हुए तीन साल की कैद और आर्थिक दंड की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की राशि न भरने पर उसकी सजा और बढ़ा दी जाएगी।