टीआरपी डेस्क। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 मार्च) सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मामले में देरी पर सवाल उठाए।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला देने में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। इस पर न्यायमूर्ति बीआर गवई ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, क्या हर बार ऐसा हो सकता है कि ऑपरेशन सफल हो जाए लेकिन मरीज की मौत हो जाए?

अगली सुनवाई 25 मार्च को

सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार, विधानसभा अध्यक्ष, तेलंगाना विधानसभा सचिव, भारत के चुनाव आयोग और दलबदलू विधायकों से इस मामले में 25 मार्च तक जवाब मांगा है।

इस दौरान न्यायमूर्ति गवई ने गंभीरता से पूछा, अयोग्यता पर निर्णय लेने का उचित समय क्या होना चाहिए? क्या यह स्पीकर के कार्यकाल के अंतिम समय में होना चाहिए? यदि ऐसा होता है तो लोकतांत्रिक मूल्यों का क्या होगा?

गौरतलब है कि इस मामले में दो याचिकाएं दायर की गई हैं पहली याचिका में तीन BRS विधायकों की अयोग्यता को लेकर तेलंगाना उच्च न्यायालय के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वहीं दूसरी याचिका शेष सात दलबदलू विधायकों से संबंधित है।