रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सेक्स सीडी कांड मामले में मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पत्रकार विनोद वर्मा और व्यवसायी कैलाश मुरारका रायपुर कोर्ट में पेश हुए। इससे पहले हुई सुनवाई में CBI ने अपना पक्ष रखा था, जबकि इस बार आरोपियों के वकीलों ने बचाव में बहस की। यह दूसरी बार है जब सभी आरोपी कोर्ट में हाजिर हुए।

बचाव पक्ष की दलील : ‘भूपेश बघेल को झूठे मामले में फंसाया गया’
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल को झूठे मामले में फंसाया गया है। भूपेश ने न तो सीडी बनवाई और न ही सीडी बांटी। उन्होंने किसी तरह का कोई ऑफेंस (अपराध) नहीं किया है।
CBI का दावा: ‘इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मौजूद’
पिछली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया था कि कोर्ट में CBI बनाम कैलाश मुरारका और अन्य के विरुद्ध जांच पर बहस थी। CBI ने बहस पूरी कर ली है। अब अभियुक्त के वकील बहस करेंगे। लगभग सभी आरोपी कोर्ट में पेश हुए हैं। CBI ने इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस होने का दावा किया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अक्टूबर 2017 में छत्तीसगढ़ में एक कथित सेक्स सीडी सामने आई थी। इसे कथित रूप से पूर्व मंत्री राजेश मूणत का बताया जा रहा था। रायपुर के सिविल लाइन थाने में इसका मुकदमा दर्ज हुआ। बाद में पुलिस दिल्ली से पत्रकार विनोद वर्मा को गिरफ्तार कर लाई थी।
कांग्रेस इसे तत्कालीन सरकार की साजिश बताती रही। सितंबर 2018 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी गिरफ्तार किया गया था। उन पर साजिश रचने का आरोप था। भूपेश बघेल ने जमानत लेने से इनकार कर दिया।
इसके बाद कांग्रेस प्रदेश भर में भाजपा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर गई। इस गिरफ्तारी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नया जोश दिया। नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जीतकर भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे।