रायपुर। CGMSC घोटाला मामले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने जांच तेज कर दी हैं। स्वास्थ्य विभाग के संचालक रहे IAS भीम सिंह और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) के तत्कालीन एमडी IAS चंद्रकांत वर्मा से गुरूवार को EOW ने पूछताछ की है।

पूछताछ के दौरान अफसरों ने दोनों IAS से यह पूछा कि आवश्यकता नहीं होने के बाद भी इतने बड़े मात्रा में रीजेंट की खरीदी क्यों की? बता दें कि, CGMSC ने स्वास्थ्य विभाग से जब एकमुश्त खरीदी करने कहा था, उस दौरान चंद्रकांत वर्मा CGMSC के एमडी थे।

स्वास्थ्य विभाग से डिमांड आने के हिसाब से CGMSC किसी दवा-उपकरण की खरीदी करता है। वहीं, जब स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी मात्रा में रीजेंट की मांग की तक CGMSC के जिम्मेदारों ने इसकी जानकारी नहीं मांगी और खरीदी करने की तैयारी शुरू कर दी। किसी ने इसकी सुध नहीं ली कि इतनी मात्रा में रीजेंट की खरीदी की डिमांड आखिर क्यों आई हैं?

किसी भी खरीदी का ऑर्डर CGMSC के एमडी द्वारा दिया जाता है। इसके चलते तत्कालीन MD चंद्रकांत वर्मा जांच के दायरे में हैं। EOW के अधिकारियों ने उनसे पूछा कि उन्होंने एक मुश्त रीजेंट खरीदी का इतना बड़ा आर्डर कैसे दिया। दोनों IAS अफसरों से पूछताछ शासन की अनुमति के बाद हुई, दोनों को नोटिस देकर EOW के दफ्तर बुलाया गया था।

अलग-अलग हुई पूछताछ
रीजेंट घोटाले के टेंडर प्रक्रिया की जांच कर रही EOW ने IAS भीम सिंह और चंद्रकात वर्मा को अलग-अलग बिठाकर उनसे पूछताछ की। रीजेंट की अनावश्यक खरीदी को लेकर दोनों IAS अधिकारियों से 6 घंटे पूछताछ चली।

तत्कालीन संचालक भीम सिंह से पूछा गया कि स्वास्थ्य केंद्रों से आवश्यकता नहीं होने पर इतनी डिमांड क्यों की गई। रीजेंट ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों को क्यों सप्लाई किया गया जहां न पैथालॉजी लैब है और न ही तकनीशियन हैं? साथ ही यह पूछा गया कि जब गोदाम में स्टॉक रखने की जगह नहीं थी तब क्यों और किसके आदेश पर इतनी खरीदी गई?

इसके बाद टेंडर प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों से पूछताछ हुई। दरअसल 2017 से लेकर 2023 तक मोक्षित कॉर्पाेरेशन को करोड़ों का टेंडर मिला था। कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा ने केवल कागजों में ही तीन फर्जी कंपनियां बनाई थी और उससे रिंग बनाकर वह टेंडर डालता था। इस मामले पर ईओडब्ल्यू ने दोनों अधिकारियों से पूछताछ की।