जांजगीर-चांपा। जिला अस्पताल में सिविल सर्जन के खिलाफ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। यहां सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल पर सीनियर स्टाफ नर्स के साथ अभद्रता करने और सीनियर डॉक्टरों पर रौब दिखाकर प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। डॉक्टरों ने कार्रवाई की मांग को लेकर OPD बंद रखा और सायकल स्टैंड पर मरीजों का चेकअप किया।

स्टाफ को अब भी धमका रहे हैं CS

डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने 5 मार्च को कलेक्टर से शिकायत की थी, जिसके बाद तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। डॉक्टरों का आरोप है कि जांच के दौरान भी सिविल सर्जन ने पद का दुरुपयोग कर नर्सों को धमकाया और स्वास्थ्य मंत्री, कलेक्टर और विभाग के बड़े अधिकारियों से अपनी नजदीकियां बताकर खुद को सुरक्षित बताया। उनके ऊपर विरोध करने वालों को अंजाम भुगतने की धमकी देने के आरोप भी लगे हैं।

छत्तीसगढ़ डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. इकबाल हुसैन ने बताया कि शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके चलते OPD सेवाएं बंद करने का निर्णय लिया गया है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन जिला और प्रदेश स्तर तक जाएगा।

उधर CS ने संभाली OPD की कमान

डॉक्टरों ने आज OPD का बहिष्कार करते हुए साइकिल स्टैंड में अस्थायी OPD शुरू कर दी, जहां वे जमीन पर बैठकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। हालांकि मरीजों को आंदोलनकारी डॉक्टरों की पर्ची से जिला अस्पताल से ना तो दवा मिल रहा है और नहीं कोई जांच हो रही है, जिसके चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सिविल सर्जन ने खुद OPD की कमान संभाल ली है। सिविल सर्जन दीपक जायसवाल के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होने पर अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों की आज दोपहर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इसमें आंदोलन को उग्र करने और प्रदेश स्तर पर विस्तार देने को लेकर चर्चा हुई।

जूनियर को ‘अफसर’ बनाने का साइड इफेक्ट

गौरतलब है कि पिछले वर्ष स्वास्थ्य विभाग में ‘मंत्री जी’ की कृपा से प्रदेश भर में ऐसे कई डॉक्टरों को CMHO और सिविल सर्जन बनाकर बिठा दिया गया, जो काफी जूनियर हैं, जबकि इन पदों पर वरिष्ठ चिकित्सकों को पदस्थ करना था। डॉ दीपक भी उन्हीं डॉक्टरों की जमात में शामिल हैं, जो आज कुर्सी के रौब में अपने से वरिष्ठों को भी आदेश जारी कर रहे हैं। आरोप लगे हैं कि सिविल सर्जन दीपक जायसवाल, डाक्टर और नर्सिंग स्टॉफ का अपमान कर रहे हैं और जिला अस्पताल में तनाव पूर्ण माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। डॉक्टरों ने शासन-प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सिविल सर्जन को हटाने की मांग की है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और डॉक्टरों की मांगों को लेकर क्या फैसला लिया जाता है।