धर्मजयगढ़। वन्य प्राणियों का रेस्क्यू करना किसी खतरे से कम नहीं होता है। दरअसल जब भी हम किसी वन्य प्राणी की जान बचाते हैं और वह खुद को असुरक्षित समझते हुए सबसे पहले करीब के व्यक्ति पर आक्रमण करते हैं। यह उनका सामान्य स्वभाव होता है और इसे ध्यान में रखते हुए रेस्क्यू टीम को अपनी जान बचाते हुए यह काम करना पड़ता है।

रात में चिंघाड़ सुनकर चौंका वन अमला
28 तारीख की दरमियानी रात तकरीबन दो से तीन बजे के बीच धर्मजयगढ़ वन मंडल के जमबिरा बिट, रेंज बकरूमा में जंगल की ओर से हाथी के बच्चे एवं हाथी के चिंघाड़ने की आवाज सुनकर वन कर्मी चौंके। दरअसल आवाज सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हाथी किसी परेशानी में हैं। इसकी सूचना तत्काल वन मंडल अधिकारी को दी गई।

शावक को बाहर निकालने में लग गए 9 घंटे
वन मंडल अधिकारी ने तुरंत स्थिति की जांच के लिए टीम भेजी और पाया कि एक हाथी का शावक पत्थरों के बीच में फंस गया है। इसके बाद शावक को बचाने का अभियान प्रारंभ हुआ और शावक को तकरीबन 9 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन पश्चात गड्ढे से बाहर निकाला गया। अब बड़ी समस्या थी शावक को मां से मिलाने की, यह भी एक चिंता थी कि मां स्वीकार करेगी या नहीं।
शावक को मां से मिलाने का प्रयास हुआ शुरू
इसके बाद पास में विचरण कर रहे हाथी के दल का लोकेशन लिया गया और शावक को हाथी के दल से मिलाने का प्रयास शुरू हुआ और अंततः सफलता मिली और आज दोपहर लगभग 12:00 बजे बच्चे को मां से मिलाया गया। इस दौरान मां बच्चे को लेकर जंगल की ओर चली गई। यह बहुत ही मार्मिक एवं भावुक पल था। पूरी टीम के चेहरे में ऐसी खुशी थी कि मानो खुद का बच्चा मिल गया हो।

इस टीम में एलीफेंट ट्रैकर, चौकीदार, हाथी मित्र दल, बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंज ऑफिसर, दो उप मंडलाधिकारी, वन मंडल अधिकारी सहित लगभग 25 सदस्य शामिल थे।
