टीआरपी डेस्क। भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा लगातार बढ़ते हुए अब लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है। भारत इस असंतुलन को कम करने के उपाय तलाश रहा है। इसी बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त व्यापार नीतियों से झटका खाए चीन ने अब भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने स्पष्ट किया कि चीन भारत के साथ मजबूत और संतुलित व्यापारिक संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, हम भारत के व्यापार घाटे को कम करने को तैयार हैं और भारतीय उत्पादों के लिए चीनी बाजार में अवसर उपलब्ध कराएंगे।

उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि भारत में भी चीनी कंपनियों को उचित और अनुकूल वातावरण मिलेगा। राजदूत ने कहा कि चीन के उपभोक्ता प्रीमियम भारतीय उत्पादों का स्वागत कर रहे हैं।

राजदूत ने बताया कि भारत और चीन के बीच सहयोग से दोनो देशों को आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन ने कभी जानबूझकर व्यापार अधिशेष नहीं बढ़ाया, बल्कि यह बाज़ार की स्वाभाविक प्रवृत्ति और आर्थिक परिस्थितियों के कारण हुआ है।

राजदूत ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का हवाला देते हुए कहा कि चीन आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहाँ के मध्यम वर्ग में निवेश और खपत की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, जिनका लाभ भारतीय कंपनियों को उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में भारत से चीन को मिर्च, लौह अयस्क और सूती धागे का बड़ा निर्यात हुआ, जिसकी वृद्धि क्रमश: 17%, 160%, और 240% दर्ज की गई।

इंटरव्यू के अंत में जू फेइहोंग ने उम्मीद जताई कि भारत भी चीन की चिंताओं को समझेगा और चीनी उद्योगों को निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव रहित माहौल उपलब्ध कराएगा।

उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय कंपनियां चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो, चाइना-एशिया एक्सपो और चाइना इंटरनेशनल कंज्यूमर प्रोडक्ट्स एक्सपो जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग करके चीनी उपभोक्ताओं से सीधा जुड़ाव बना सकती हैं।