बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पंडित राजेंद्र शुक्ल की मौत के 18 साल बाद एक बड़ा खुलासा सामने आया है। 2006 में अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में इलाज के दौरान हुई उनकी मृत्यु के मामले में अब फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।

फर्जी डॉक्टर के खिलाफ दर्ज हुआ केस
सरकंडा थाना पुलिस ने आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465, 466, 468, 471 (जालसाजी से संबंधित धाराएं), 304 (गैर इरादतन हत्या) और 34 के तहत मामला दर्ज किया है। आरोप है कि वह बिना उचित योग्यता के खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मरीजों का इलाज कर रहा था।
दमोह कांड से खुली परतें
दमोह के मिशन अस्पताल में कथित कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के हाथों 7 मरीजों की मृत्यु के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आया। उसी के बाद राजेंद्र शुक्ल के परिजनों ने उनकी मृत्यु पर दोबारा जांच की मांग की। शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी डॉक्टर द्वारा किया गया था।
आईएमए की जांच में हुआ खुलासा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के तत्कालीन अध्यक्ष और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वायएस दुबे द्वारा कराई गई जांच में खुलासा हुआ कि नरेंद्र के पास केवल एमबीबीएस की डिग्री है और वह कार्डियोलॉजी की विशेषज्ञता का दावा झूठा था। अपोलो अस्पताल प्रबंधन द्वारा भी आरोपी के दस्तावेज की पड़ताल की गई, जिसमें उसका नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम अलग-अलग रिकॉर्ड में दर्ज पाया गया, जिससे उसकी पहचान संदिग्ध पाई गई।
करीब 32 वर्षों तक विधायक रहे और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष पद तक पहुंचे पंडित राजेंद्र शुक्ल की मृत्यु को लेकर अब जो तथ्य सामने आए हैं, वे न केवल चिकित्सा क्षेत्र की लापरवाही को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी सवाल उठाते हैं कि इतने वर्षों तक एक फर्जी डॉक्टर कैसे सक्रिय रहा।