रायपुर। टेंडर के नियमों में बदलाव कर चहेतों को देने की CGMSC के अफसरों की आदत छूट नहीं रही है। कुछ समय पूर्व ही मेडिकल कॉलेज भवनों के निर्माण का विवादस्पद टेंडर शासन के हस्तक्षेप के चलते आखिरकार CGMSC के अफसरों को निरस्त करना पड़ा था। इसके बावजूद 108 एंबुलेंस के टेंडर में भी नियमों में हेरफेर किया गया। इसके बाद अब पीएम जनमन और ग्रामीण मोबाइल मेडिकल यूनिट के संचालन के लिए जारी टेंडर के नियमों पर भी सवाल उठने लगे हैं। आरोप लग रहे हैं कि CGMSC के अफसरों ने तीन तरह के टेंडर के लिये ऐसे नियम-शर्तें बनाई हैं, जिसमें चहेती कंपनी को टेंडर लेने में आसानी हो और बाकी फर्म अपात्र हो जाएं।

अन्य राज्यों में कंसोर्टियम को बढ़ावा देने की कोशिश

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन (CGMSC) के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के होने वाले लगभग सभी काम विवादों से घिरे रहते हैं। इस बार 108 एंबुलेंस के साथ प्रधानमंत्री जनमन मोबाइल मेडिकल यूनिट, ग्रामीण मोबाइल मेडिकल यूनिट और हाट बाजार को लेकर जारी टेंडर चर्चा का विषय बना हुआ है। टेंडर के जानकार इसके लिए निर्धारित किये गए नियम-शर्तों को लेकर कई तरह के सवाल खड़ा कर रहे हैं। साथ ही जारी किये गए टेंडर में तय नियम को कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिये तैयार करने का आरोप लगा रहे हैं। तर्क दिया जा रहा कि तीनों तरह के टेंडर में शर्ते, पात्रता और मापदंड को इस तरह तय किया गया है कि चुनिंदा कंपनी ही इसके लिए पात्र हो पाएंगी। ऐसा करके अन्य राज्यों में कंसोर्टियम को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, मगर छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए जारी टेंडर में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है।

‘इस तरह के गैर जरुरी नियम थोपे गए’

इस टेंडर में ग्रामीण इलाकों में एमएमयू का संचालन करने वाली कंपनी के लिए एक करोड़ के डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म के विकास, रोलआउट और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में लागू करने का अनुभव मांगा गया है जिसे गैर जरूरी माना जा रहा है। दूसरे नियम में राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य योजना में सॉफ्ट वेयर डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट के अनुभव को मान्य किया गया है जिससे असली हेल्थ प्रोवाइडर निविदा से बाहर हो सकते हैं।

टेंडर बार-बार हो रहे हैं रद्द

सूत्रों के अनुसार जारी किये जाने वाले टेंडर में बार-बार उन्हीं शर्तों को शामिल किया जाता है, जिसे कई कंपनियां पूरी नहीं कर पातीं। बाद में पर्याप्त बोलियां नहीं आने का हवाला देकर टेंडर को रद्द कर दिया जाता है। जानकारों का तर्क है कि अगर शर्तें इतनी सख्त हैं, तो इसमें शिथिलता लानी चाहिये। बार-बार टेंडर रद्द होने और पुनः उन्हीं शर्तों को शामिल करना दूसरी तरफ इशारा करता है।

केंद्र सरकार के पीएम जनमन में नियमों की अनदेखी

जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार की पीएम जनमन योजना में स्पष्ट है कि मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) संचालन के लिये सेवा प्रदाता से सॉफ्टवेयर निर्माण की अपेक्षा नहीं की जाती है। मानकों के अनुसार परियोजना वास्तविक जरुरतों के अनुरुप हो और प्रतिस्पर्धा को सीमित ना करे। इसके बाद भी CGMSC ने अपने टेंडर में इस शर्त को शामिल किया है। बहरहाल देखना यह है कि टेंडर में मनमाने तरीके से नियम थोपने वाले CGMSC के अफसार अपने चाहते फर्मों को ठेका दिलाने में सफल हो पाते हैं या फिर एक बार टेंडर कैंसल होने की नौबत आती है।