रायपुर। छत्तीसगढ़ में रह रहे पाकिस्तान मूल के नागरिकों को अब जल्द ही राज्य छोड़ना होगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा। सभी शॉर्ट वीजा को निरस्त कर दिया गया है और पाकिस्तानी नागरिकों को राज्य छोड़ने का आदेश दिया गया है।

पहलगाम हमले के बाद केंद्र का सख्त रुख
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है। भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं। सामान्य वीजा धारकों को 27 अप्रैल तक और मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक देश छोड़ने का समय दिया गया है।
भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में पाकिस्तानी नागरिकों को आगामी तीन दिनों के भीतर देश छोड़ना अनिवार्य होगा।
छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सख्त जांच
भारत सरकार के निर्देशों के तहत छत्तीसगढ़ में भी पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान और दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में करीब 2,000 पाकिस्तानी मूल के नागरिक मौजूद हैं, जिनमें से लगभग 1,800 केवल रायपुर में रहते हैं। इनमें अधिकांश सिंधी समुदाय से संबंधित हैं। पुलिस वीजा और नागरिकता संबंधी दस्तावेजों की गहनता से जांच कर रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों को दिए निर्देश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद कर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि तय समय सीमा के बाद कोई भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में न रहे।
दीर्घकालिक वीजाधारकों को राहत
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिंदू समुदाय के पाकिस्तानी नागरिकों, जो दीर्घकालिक वीजा पर हैं, उन्हें भारत छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। जबकि बिजनेस, मेडिकल और धार्मिक वीजा पर आए नागरिकों को निर्धारित समयसीमा के भीतर देश छोड़ना अनिवार्य किया गया है। सार्क वीजा धारकों के लिए भी जांच प्रक्रिया जारी है, हालांकि तत्काल निष्कासन का निर्देश फिलहाल नहीं दिया गया है।
रायपुर में बड़ी संख्या में बसे पाकिस्तानी मूल के नागरिक
रायपुर के सड्डू, महावीरनगर, बोरियाकला और माना रोड जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी मूल के सिंधी समुदाय के लोग बसे हुए हैं। इनमें से कई भारत में रिश्तेदारों से मिलने, इलाज कराने या धार्मिक उद्देश्यों से आए थे और अब व्यवसायिक वीजा के जरिए यहां रह रहे हैं। कुछ को भारतीय नागरिकता भी मिल चुकी है, जबकि कई की प्रक्रिया अब भी जारी है।