नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत आशंकाओं का समाधान संभव है, लेकिन टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट को ‘सड़कों पर चर्चा’ के लिए नहीं खोला जा सकता। मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई 2025 को होगी।

क्या है पेगासस जासूसी मामला

पेगासस जासूसी विवाद 2021 में उस समय सुर्खियों में आया जब एक न्यूज पोर्टल ने दावा किया कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के बीच इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए करीब 300 भारतीयों की जासूसी की। इनमें पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्षी नेता और उद्योगपति शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने इन लोगों के फोन हैक किए, जिसके बाद कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी जांच और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की।

याचिकाकर्ताओं में एडवोकेट एमएल शर्मा, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, हिंदू ग्रुप के डायरेक्टर एन राम, एशियानेट के फाउंडर शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकार रुपेश कुमार सिंह, प्रांजय गुहा ठाकुरता, इप्सा शताक्षी, एसएनएम आबिदी और प्रेम शंकर झा शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम दीवान ने 22 अप्रैल 2025 को कोर्ट में कहा कि 2021 में गठित टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सभी पक्षों के साथ साझा करने का निर्देश था, लेकिन इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी थी जांच कमेटी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार ने 2017 में इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप से पेगासस स्पाइवेयर खरीदा था। यह खरीद 2 अरब डॉलर (लगभग 15 हजार करोड़ रुपये) की रक्षा सौदे का हिस्सा थी, जिसमें मिसाइल सिस्टम और अन्य हथियार भी शामिल थे। इसकी जानकारी अमेरिकी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। अक्टूबर 2021 में कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। अगस्त 2022 में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि जांचे गए किसी भी मोबाइल में पेगासस स्पाइवेयर के सबूत नहीं मिले।

क्या है पेगासस स्पाइवेयर

पेगासस एक शक्तिशाली स्पाइवेयर है, जिसे इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर किसी फोन को हैक कर उसका कैमरा, माइक, मैसेज, कॉल और अन्य डेटा हैकर तक पहुंचा सकता है। यह बिना उपयोगकर्ता की जानकारी के फोन में प्रवेश कर सकता है और संवेदनशील जानकारी चुरा सकता है।