बिलासपुर। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को यह आदेश दिया है कि वह निकाले गए कर्मचारियों का पक्ष जानने के बाद ही यह तय करे कि उन्हें नौकरी पर रखना है या बर्खास्त करना है।

बैंक प्रबंधन ने डबल बेंच में की थी अपील
दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस ए के प्रसाद के सिंगल बेंच ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के संबंधित कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने माना कि कर्मचारियों का पक्ष जाने बिना ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले में 29 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर कार्रवाई को चुनौती दी थी। हालांकि बैंक प्रबंधन ने 106 लोगों को नियुक्ति दी थी, जिन्हें बाद में बर्खास्त कर दिया गया था।
सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ बैंक प्रबंधन ने डबल बेंच में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा की डबल बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में सभी बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने के सिंगल बेंच के फैसले को अपास्त कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता याने बैंक प्रबंधन को यह निर्देश दिया कि जिन कर्मचारियों ने भी अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है, उनका पक्ष जाना जाये और उसके बाद ही उनकी बर्खास्तगी को लेकर कोई फैसला किया जाये। कोर्ट ने इसके लिए प्रबंधन को 3 माह का समय दिया है।
भर्ती में व्यापक गड़बड़ियां हुई थी उजागर
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, बिलासपुर में भाजपा नेता देवेंद्र पांडेय के अध्यक्षीय कार्यकाल में 2016 में 106 कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। इस भर्ती के लिए किसी IBPS नमक एजेंसी के जरिये उम्मीदवारों की परीक्षा ली गई और फिर इंटरव्यू के बाद नियुक्तियां दी गई। इसके बाद इन भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगते हुए शिकायत की गई। जिसकी जांच के बाद तत्कालीन CEO और जिले के कलेक्टर ने नियुक्त किया गए सभी लोगों को बर्खास्त कर दिया था।
बताया जाता है कि इन भर्तियों के लिए विधिवत ढंग से अनुमति नहीं ली गई थी। वहीं कई लोग परीक्षा में नहीं बैठे और उन्हें भी नौकरी दे दी गई, इंटरव्यू कमेटी में बैंक प्रबंधन ने अपने ही अपात्र कर्मचारियों को शामिल कर लिया था। इंटरव्यू के नंबर भी काफी ऊपर-नीचे थे। इसके अलावा कई अनेक गड़बड़ियां उजागर हुई थीं। जिसे देखते हुए यह भर्ती ही निरस्त कर दी गई। बहरहाल देखना यह है कि बर्खास्त कर्मियों का पक्ष जानने के बाद बैंक प्रबंधन उनके भविष्य को लेकर क्या फैसला करता है।