टीआरपी डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने 23 अप्रैल 2025 को सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। यह कड़ा फैसला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था।

पानी पर ‘पलटवार’, पाकिस्तान में मची हाहाकार
संधि निलंबन के बाद पाकिस्तान में पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। हालात इतने बिगड़े कि पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत को पत्र लिखकर संधि पर पुनर्विचार और वार्ता की अपील की। लेकिन भारत ने इस अपील को साफ तौर पर खारिज कर दिया।
भारत का कड़ा रुख: ‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते’
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करता रहेगा, संधि निलंबित ही रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हालिया संबोधन में कहा था खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान को यदि शांति चाहिए, तो उसे आतंकवाद को जड़ से खत्म करना होगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की ओर से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई फिलहाल स्थगित है, लेकिन आगे का रुख पाकिस्तान के कदमों पर निर्भर करेगा।
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस संधि के तहत:
- भारत को सिंधु नदी प्रणाली के 30% जल का अधिकार है और पाकिस्तान को 70%।
- भारत अपने हिस्से के जल का भी सिर्फ 90% ही उपयोग करता रहा है।
- अब भारत ने बाढ़ संबंधित डेटा साझा करना भी बंद कर दिया है।
पाकिस्तान की अपील, भारत का इनकार
भारत के इस कदम को पाकिस्तान के खिलाफ अब तक की सबसे कठोर कार्रवाई माना जा रहा है। भारत का रुख स्पष्ट है टेरर और टॉक साथ नहीं चल सकते… टेरर और ट्रेड भी नहीं… और पानी और खून भी नहीं बह सकते।