0 परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करने वाले सभी अधिकारी दोषी
0 सौ करोड़ का मुआवजा भी नहीं बनता मगर 415 करोड़ का अवार्ड कर दिया पारित
0 मुआवजा बंटने के बाद सरकार ने कराई जांच
0 जांच रिपोर्ट मिलने के महीनों बाद FIR के आदेश

रायगढ़। इस जिले में हुए अरबों के लारा जमीन घोटाले की तरह ही छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी (CSPGCL) को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के भूअर्जन में भी बड़ा घोटाला किया गया था। बजरमुड़ा में सौ करोड़ का मुआवजा भी नहीं बनता लेकिन 415 करोड़ का अवार्ड पारित कर दिया गया। जांच रिपोर्ट आने के कई महीनों बाद अब जिम्मेदारों के विरुद्ध नामजद एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। जिला कार्यालय से एसडीएम घरघोड़ा का लिखित आदेश प्रेषित किया गया है।
इस तरह बढ़ाया गया जमीनों का मुआवजा
बजरमुड़ा घोटाला रायगढ़ जिले में लारा कांड के बाद सबसे बड़ा सुनियोजित घपला है। इसमें प्रत्यक्ष रूप से सरकार को हानि पहुंचाई गई। संपत्तियों का गलत मूल्यांकन करने के कारण अरबों रुपए का मुआवजा देना पड़ा। जांच रिपोर्ट में मुआवजा पत्रक को दोषपूर्ण बताते हुए संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया। गणना के समय ही जिस भूमि पर 20 लाख का मुआवजा मिलता, उसमें बीस करोड़ का मुआवजा बना दिया गया।

तत्कालीन SDM मार्बल के संरक्षण में हुआ खेला
बजरमुड़ा में परिसंपत्तियों के आकलन में जमकर गड़बड़ी की गई। तब यह मामला मीडिया में सुर्खियां भी बना। मगर तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल ने इसे रोका ही नहीं। इसके बाद रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा की शिकायत पर राज्य सरकार ने जांच टीम बनाई थी। आईएएस रमेश शर्मा की अध्यक्षता में जांच की गई। मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भू-अर्जन किया गया।
CSPGCL की आपत्ति पर कलेक्टर ने नहीं दिया ध्यान
CSPGCL के लिए अधिगृहित इस जमीन के लिए जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। CSPGCL ने अवॉर्ड राशि पर आपत्ति जताई, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर ने केवल ब्याज को 32 माह से घटाकर 6 माह का किया। कंपनी को आंशिक राहत मिली जिसमें मुआवजा 415.69 करोड़ हो गया।
मीडिया में इस घोटाले की काफी खबरें आईं। जब जमीन के अधिग्रहण की खबर जमीन मालिकों और दलालों को लगी तब राजस्व अमले की मिलीभगत से यहां रातोंरात एक ईंटे की दीवार बना-बनाकर छतों का निर्माण कर लिया गया और खेतों में मकान दिखा दिए गए। इसी तरह खाली जमीनों पर सैकड़ों पेड़ दिखाए गए। मामला प्रकाश में आने के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर ने अनदेखी की और मुआवजा बंट जाने दिया, जबकि यहां सरकार के ही बिजली प्लांट के लिए कोयला खदान प्रस्तावित था।
पूर्व कलेक्टर ने जाते-जाते दिया FIR का आदेश
रायगढ़ जिले के पूर्व कलेक्टर कार्तिकेय गोयल ने तबादले के पहले इस घोटाले में अपराध दर्ज करने का आदेश एसडीएम घरघोड़ा को दिया है। सीएसपीडीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 के गांव बजरमुड़ा में मुआवजा गणना में ही खेल किया गया। जहां घास थी वहां भी 2000 पेड़ दिखा दिए। जांच रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने कलेक्टर रायगढ़ को कार्रवाई करने का आदेश दिया था। पूर्व कलेक्टर ने एसडीएम घरघोड़ा से उस अवधि में पदस्थ अधिकारियों और मूल्यांकन करने वाली टीम की जानकारी मांगी। घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
घोटाले से पुराना नाता है पूर्व SDM मार्बल का
प्रशासनिक अधिकारी अशोक मार्बल सालों पहले कोरबा जिले में तहसीलदार के पद पर कार्यरत थे। तब उन्होंने यहां SECL के लिए अधिग्रहित जमीनों के लिए जमकर घोटाले किये। उन्होंने यहां मुआवजा घोटाले के साथ ही फर्जी लोगों को भूविस्थापितों का रिश्तेदार बना दिया और उन्हें नौकरी दिलवा दी। वर्तमान में वे पदोन्नत होकर जॉइंट कलेक्टर बन गए हैं। वैसे ये अफसर जहां भी पदस्थ रहे वहां उनका कार्यकाल विवादस्पद ही रहा है।
क्या EOW/ACB को सौंपा जायेगा घोटाले को..?
बजरमुड़ा घोटाले में सरकार ने जांच के आदेश 15 जून 2023 को दिए थे। बजरमुड़ा, करवाही और ढोलनारा में जांच करने के लिए आईएएस रमेश शर्मा, अपर कलेक्टर हिना अनिमेष नेताम और संयुक्त कलेक्टर उमाशंकर अग्रवाल की कमेटी बनाई गई थी। 6-8 दिसंबर 2023 तक और 8-9 फरवरी 2024 को जांच की गई। रिपोर्ट में सारी गड़बड़ी उजागर की गई है। जांच में बजरमुड़ा के कुछ ही प्रकरणों को लिया गया है। तीन गांव में जांच बाकी है। अभनपुर भारतमाला परियोजना की तरह यह केस भी ईओडब्ल्यू या सीबीआई को सौंपने लायक है। घोटाले की रकम से आय से अधिक संपत्ति खड़ी की गई है। तमनार के गांव बजरमुड़ा में जिस स्तर का घोटाला किया गया, उसमें अभी भी कई खुलासे होने बाकी हैं। यह घोटाला सीबीआई जांच के लायक है क्योंकि इसमें आपराधिक साजिश हुई है। मामले की शिकायत करने वाले अब सरकार से सवाल कर रहे हैं कि इसे EOW/ACB या CBI को कब सौंपने जा रहे हैं ?