कोरिया। जिला कोरिया में दो स्थानों पर खुले में फेंक दी गई सरकारी दवाइयों की जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि जिला अस्पताल कोरिया के कर्मचारियों ने यह करतूत की थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दो फार्मासिस्ट और स्टोर प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। इस बीच आज भी मनेन्द्रगढ़ के जिला अस्पताल के पीछे दवाइयों का स्टॉक कचरे में फेंका हुआ मिला, जिसके बाद आनन-फानन में दवाइयों को वहां से हटा दिया गया।

सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले कोरिया और MCB जिले से जुड़ा यह मामला है। दरअसल 3 दिनों पूर्व बैकुंठपुर के रामपुर में नुरुल हुदा मैरिज हॉल के पीछे दो बोरे में भरकर जीवन रक्षक दवाइयां फेंकी गई थी। इलाके के वरिष्ठ पत्रकार निसार अहमद को यहां से गुजरते हुए दवाइयों का ढेर नजर आया तब उन्होंने मीडिया के अपने साथियों को इसकी सूचना दीं। निसार अहमद ने बताया कि इनमें से कुछ दवाएं तो वे खुद खाते हैं और वे काफी महंगी हैं। गंभीर बात यह थी कि इनमें से कई दवाओं का एक्सपायरी डेट तो 2026 और उससे आगे का था। अर्थात कई दवाएं एक्सपायरी डेट खत्म होने से पहले ही फेंक दी गई थी।

दूसरे स्थान पर भी खुले में मिली दवाएं

कोरिया जिले में एक मैरिज हॉल के पीछे दवाएं मिलने के अगले दिन एक पुलिया के नीचे इससे भी ज्यादा मात्रा में दवाएं मिलीं। इन दोनों स्थानों पर दवाएं मिलने की खबर मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने तत्काल टीम गठित कर मामले की जांच के आदेश दिए। जिसके बाद CMHO डॉक्टर प्रशांत सिंह ने ड्रग इंस्पेक्टर विकास लकड़ा और आलोक मिंज की दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच का निर्देश दिया। जांच टीम ने मौके पर पहुंच फेंकी गई दवाइयों को एकत्रित कर सारी जानकारी जुटाई।

जिला अस्पताल के स्टोर की थी ये दवाएं

दो स्थानों पर फेंके गए दवाओं की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि इन दवाइयों के बैच नंबर, निर्माण व समाप्ति तिथि तथा निर्माता कंपनियां, जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर के स्टोर व ओपीडी फार्मेसी में सप्लाई की गई दवाइयों से मेल खा रही हैं।

जांच के दौरान सीजीएमएससी से दवाइयां के बैच के नम्बर के आधार पर ड्रग वेयर हाउस कंचनपुर से जानकारी मांगी गई। प्रारंभिक जांच में बैच नंबर के आधार पर जिला अस्पताल बैकुंठपुर के स्टोर व ओपीडी फार्मेसी में सप्लाई की हुई दवाई होने की पुष्टि हुई। जांच दल को संबंधित स्टोर व ओपीडी फार्मेसी में इन दवाइयों का स्टॉक शून्य मिला, साथ ही वितरण से संबंधित कोई वैध रजिस्टर या विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया।

जीवन रक्षक दवाएं भी कचरे में मिलीं

इस मामले में सबसे बड़ी लापरवाही यह नजर आयी कि कचरे में दर्जनों प्रकार की जीवन रक्षक दवाइयां भी मिलीं, जिनका एक्सपायरी डेट भी खत्म नहीं हुआ था। इनमें अति संवेदनशील औषधि भी शामिल है।

जांच प्रतिवेदन के मुताबिक बैकुण्ठपुर क्षेत्र अंतर्गत नुरुल हुदा मैरिज गार्डन के पीछे मौके पर प्राप्त औषधियों में से अति संवेदनशील 01 औषधि NRX अंकित ETIZOLAM TABLETS 0.5 MG (ETIKEM 0.5) श्रेणी की है, जिसका उपयोग मेंटल हेल्थ कार्यक्रम अंतर्गत मरीजों को प्रदाय किया जाता है। जिला स्तर से 200 टैबल जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर को प्रदाय किया गया था। प्रदायित 200 टैबलेट में से 100 टैबलेट औषधि वितरण कक्ष जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर में पाया गया, शेष 100 टैबलेट प्राप्त नहीं हुए, इस औषधि का वितरण कक्ष में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा किसी भी पंजी में संधारण नहीं किये जाने की पुष्टि भी हुई है।

गड़बड़ी मिलने पर 3 निलंबित, FIR दर्ज करने के निर्देश

इस मामले में प्रथम दृष्टया लापरवाही के दोषी पाए जाने पर जिला अस्पताल बैकुंठपुर के तीन कर्मचारियों शोभा गुप्ता, प्रभारी स्टोर कीपर, जितेन्द्र जायसवाल फार्मासिस्ट ग्रेड-02 तथा छत्रपाल सिंह फार्मासिस्ट को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

प्रशासन ने इस गंभीर मामले की आपराधिक जांच के लिए पुलिस अधीक्षक कोरिया को पत्र जारी कर एफआईआर दर्ज करने व विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। नाले के पास फेंकी गई अन्य दवाइयों के स्रोत व संलिप्त व्यक्तियों की पहचान के लिए पुलिस जांच भी जारी है।

मनेन्द्रगढ़ में जिला अस्पताल के पीछे भी दवाइयां

आज जब इस मामले में जिला अस्पताल कोरिया के 3 स्टाफ को सस्पेंड करने की खबर चर्चा में आयी, तभी कोरिया से टूटकर अलग हुए MCB जिले के मनेन्द्रगढ़ स्थित जिला अस्पताल के पीछे भी कचरे के ढेर में दवाओं का जखीरा नजर आया। इसकी खबर लगते ही मीडिया के कुछ साथियों ने यहां की तस्वीरें लीं, और यह खबर भी वायरल हो गई। बताया जाता है कि इसकी जानकारी मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में इन दवाइयों को यहां से उठवा लिया।

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल के इलाके का यह है हाल

यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब प्रदेश में CGMSC का घोटाला सुर्ख़ियों में है और जांच एजेंसियां इस मामले में कार्रवाई भी कर रही हैं। बता दें कि किसी भी दवाई में बैच नंबर होता है और इससे आसानी से यह पता लगाया जा सकता है कि यह स्टॉक कहां का है। इसके बावजूद स्टाफ दवाओं को फेंकने की हिम्मत दिखा रहे हैं। वह भी ऐसी दवाएं जो जीवन रक्षक हैं और एक्सपायर भी नहीं हुई हैं। ये दवाएं एक जगह नहीं बल्कि कई स्थानों पर मिलीं, इससे स्वास्थ्य अमले के हौसले का पता चलता है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के इलाके में इस तरह स्वास्थ्य अमले द्वारा मनमानी किया जाना गंभीर मसला है। सवाल यह है कि इस तरह जरुरी दवाएं फेंकने की आखिर वजह क्या है। कहीं यह भी CGMSC घोटाले का एक हिस्सा तो नहीं है। अस्पतालों के कहीं जरुरत से ज्यादा दवाओं की सप्लाई तो नहीं हुई है, जिसके चलते ओवर स्टॉक को कचरे की तरह फेंका ज रहा है ? वैसे भी इस तरह एक्सपायरी दवाओं को भी कचरे की तरह खुले में फेंकने की मनाही होती है। इसका निष्पादन एक्सपर्ट की उपस्थिति में नॉर्म्स के मुताबिक किये जाने का प्रावधान है। बहरहाल इस मामले में कार्रवाई अभी रुकेगी नहीं, बल्कि अब पुलिस भी जांच के बाद आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी