नेशनल डेस्क। वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। 21 मई को सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने नए संशोधनों का जोरदार बचाव किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि इस एक्ट से सरकार बहुत पुरानी समस्या को खत्म कर रही है, जिसकी शुरुआत 1923 में हुई थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा कि अगर कोई जमीन सरकारी है, तो सरकार को उसे वापस लेने का पूरा हक है। सरकारी जमीन पर किसी का भी हक नहीं हो सकता है। फिर चाहे वो ‘वक्फ बाय यूजर’ के आधार पर ही क्यों न हो। वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था है। इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
97 लाख लोगों से लिए गए सुझाव
कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि वक्फ कानून में बदलाव को लेकर व्यापक स्तर पर चर्चा और सलाह ली गई है। SG तुषार मेहता ने साफ किया कि याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। SG मेहता ने कहा कि इस कानून को लेकर 97 लाख से ज्यादा लोगों से सुझाव मिले। साथ ही कई स्तरों पर बैठकें हुईं, जिसमें इन संशोधनों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि इस पर 25 वक्फ बोर्डों से राय ली गई। इनमें से ज्यादातर बोर्ड ने खुद आकर अपनी बात रखी। इसके अलावा राज्य सरकारों से भी सलाह ली गई।
5 याचिकाओं पर हो रही सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून के खिलाफ सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। इसमें AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है। बता दें कि कोर्ट ने दोनों पक्षों को बहस के लिए 7 घंटे का समय दिया है। वहीं, बीते मंगलवार भी को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई हुई थी, जिसमें 3 घंटे तक याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामले को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया था।
मंगलवार को सुनवाई में क्या हुआ?
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत दलीलों के साथ स्पष्ट करना चाहिए।