टी.एस. सिंहदेव

टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश के 10,463 स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) के निर्णय को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। इस फैसले के विरोध में पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए इसे अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक करार दिया है।

सिंहदेव ने तीखे शब्दों में कहा, दो शिक्षक अगर कक्षा पहली से पांचवीं तक की 18 कक्षाओं को पढ़ाएंगे, तो यह शिक्षा नहीं, बच्चों के भविष्य के साथ क्रूर मज़ाक होगा। यह पूरी व्यवस्था अमानवीय है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन करती है।

उन्होंने सरकार से पूछा कि अगर वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में अक्षम है, तो या तो इस्तीफा दे या फिर शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह निजी क्षेत्र के हवाले कर दे।

दरअसल, राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी कर प्रदेश भर के कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने और एक ही परिसर में संचालित शालाओं को एकीकृत करने की योजना प्रस्तुत की है। योजना के तहत 60 से कम छात्रों वाले प्राथमिक विद्यालयों में 1 प्लस 1 और मिडिल स्कूलों में 1 प्लस 3 शिक्षक नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। यह व्यवस्था वर्ष 2008 की नीति के अनुरूप बताई गई है।

इस नीति को लेकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका जताई जा रही है। कई शिक्षाविदों और अभिभावकों ने भी इस फैसले को लेकर चिंता प्रकट की है। उनका मानना है कि इससे बच्चों की पहुंच शिक्षा तक सीमित हो सकती है।

वहीं सरकार का तर्क है कि यह कदम संसाधनों के प्रभावी उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार इस बढ़ते विरोध का किस प्रकार से जवाब देती है और क्या यह नीति वास्तव में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाएगी या फिर यह एक और राजनीतिक विवाद का कारण बनकर रह जाएगी।