इम्फाल। हिंसाग्रस्त मणिपुर में नई सरकार बनाने के प्रयास तेज हो गए हैं। इसी कड़ी में एनडीए के दस विधायकों के एक समूह ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से राजभवन में मुलाकात की। करीब एक घंटे तक चली इस मुलाकात के बाद बीजेपी विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने मीडिया से दावा करते हुए कहा, “मणिपुर में नई सरकार बनाने के लिए 44 विधायक तैयार हैं।

राज्यपाल से सुबह 11 बजे मुलाकात करने वाले दस विधायकों में राधेश्याम सिंह के साथ बीजेपी के पांच विधायक, एनपीपी से विधायक शेख नूरुल हसन, जंगहेमलिउंग और निर्दलीय विधायक सापम निशिकांत भी शामिल थे। राज्यपाल से जिन दस विधायकों ने यह मुलाकात की है उनमें नौ विधायक मैतेई बहुल घाटी से हैं, जबकि एक नागा विधायक हैं।
44 विधायकों के समर्थन का दावा
राज्यपाल के साथ मुलाकात कर लौटे एक विधायक ने कहा,”नई सरकार गठन करने को लेकर राज्यपाल से विस्तार से बात हुई है। हम एनडीए के प्रतिनिधि के तौर पर आज राजभवन गए थे। हमारे पास 44 विधायकों के दस्तख़त वाला समर्थन पत्र था जो हमने राज्यपाल को सौंप दिया है। उम्मीद है कि 15 जून तक मणिपुर में एक नई लोकप्रिय सरकार का गठन कर लिया जाएगा।”
मैतेई संगठन कर रहे आंदोलन
गौरतलब है कि मणिपुर में बीते तीन-चार दिनों से राज्यपाल भल्ला के ख़िलाफ़ मैतेई संगठन लगातार आंदोलन कर रहे है। ये संगठन राज्यपाल से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग पर अड़े है।
गौरतलब है कि पहाड़ी जिले उखरुल में 20 मई से आयोजित शिरुई लिली महोत्सव को कवर करने जा रहे इंफाल के पत्रकारों की एक सरकारी बस को सुरक्षाबलों ने एक चेक पोस्ट पर रोक कर बस के सामने लिखे मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट में कथित तौर पर ‘मणिपुर’ को ढक दिया था।
इस घटना से नाराज मैतेई समुदाय इसे “मणिपुर की पहचान, उसके नाम, गौरव और सम्मान को कमजोर करने” के रूप में देख रहा है। इसी विरोध के दौरान अब मणिपुर में एक नई सरकार के गठन करने को लेकर राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई है।
इससे पहले 29 अप्रैल को एनडीए के 21 विधायकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री दोनों को पत्र सौंपकर राज्य में लोकप्रिय सरकार की स्थापना की मांग की थी। नई सरकार गठन की मांग करने वाले विधायकों के समूह में पूर्व सीएम एन बीरेन सिंह या उनके करीबी विधायकों का समूह शामिल नहीं था।
नई सरकार गठन करने की कवायद में शामिल एक विधायक ने बताया कि मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है लेकिन राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने की दिशा में कुछ बदलाव नहीं हुआ है। लिहाजा एक नई सरकार ही मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति ला सकती है।