रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित अंबेडकर अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं और मरीजों को हो रही गंभीर परेशानियों पर हाई कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के सचिव से जवाब तलब किया था। हालांकि निर्धारित समयसीमा तक सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा सका। मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया।

यह मामला 27 मई को मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान सामने आया था, जब मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने अस्पताल की लापरवाही और मरीजों की दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी। रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दुर्घटना, फ्रैक्चर, कैंसर और गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को सर्जरी के लिए 15 से 20 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार ऑपरेशन थियेटर तक ले जाने के बाद भी मरीजों को बिना ऑपरेशन के लौटा दिया जाता है, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है।

मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्हें बिना कोई स्पष्ट कारण बताए बार-बार ऑपरेशन टाल दिया जाता है। विरोध करने पर उन्हें निजी अस्पताल में इलाज करवाने की सलाह दी जाती है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं होता, जिस कारण वे इलाज के इंतजार में अस्पताल परिसर में ही डटे रहते हैं।

अस्पताल में कुल 29 ऑपरेशन थियेटर होने के बावजूद अधिकांश में सर्जरी के लिए केवल 1-2 डॉक्टर उपलब्ध हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में गंभीर रोगों से ग्रसित मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं, जिनमें कई एक महीने से ऑपरेशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि कई बार तीमारदार और अस्पताल प्रबंधन के बीच विवाद, झड़प और मारपीट तक की नौबत आ जाती है।

हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, लेकिन निर्धारित समय पर यह हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया जा सका। महाधिवक्ता ने दलील दी कि हलफनामा तैयार किया जा रहा है और उसे प्रस्तुत करने के लिए कुछ और समय आवश्यक है। कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 10 जून निर्धारित की है।