टीआरपी डेस्क। देश को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण का वैश्विक हब बनाने की दिशा में मोदी सरकार ने नई ईवी नीति को मंजूरी दे दी है। यह नीति विशेष रूप से उन कंपनियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है जो भारत में EV सेक्टर में निवेश करना चाहती हैं। इसका लक्ष्य निवेश आकर्षित करना, उत्पादन बढ़ाना और ‘मेक इन इंडिया’ को नई ऊंचाई देना है।

जानें नई EV नीति
निवेश को मिलेगा बढ़ावाः नीति EV के निर्माण, रिसर्च और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को आकर्षित करने पर केंद्रित है।
आयात शुल्क में बड़ी छूट
अगर कोई कंपनी भारत में $486 मिलियन (लगभग ₹4,000 करोड़) का निवेश करती है, तो वह $35,000 (लगभग ₹29.87 लाख) या उससे अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों को सिर्फ 15% आयात शुल्क पर भारत में ला सकती है। यह छूट 5 साल तक लागू रहेगी।
उत्पादन की समय सीमा
नीति के तहत मंजूरी मिलने के तीन वर्षों के भीतर कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करना होगा। इस नीति में शामिल होने के लिए कंपनियां 15 मार्च 2026 तक आवेदन कर सकती हैं। $486 मिलियन की न्यूनतम निवेश राशि में भूमि की कीमत शामिल नहीं मानी जाएगी।
स्थानीयकरण लक्ष्य
- 3 साल में कम से कम 25% स्थानीय उत्पादन करना होगा।
- 5 साल में यह लक्ष्य बढ़कर 50% हो जाएगा।
इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।
ये कंपनियां हैं रेस में
ईटी नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, Mercedes-Benz, Skoda, Hyundai और Kia जैसी बड़ी ऑटो कंपनियां इस नीति में गहरी रुचि दिखा रही हैं। यह नई ईवी नीति न सिर्फ भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से विस्तार को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे स्थानीय निर्माण को भी मजबूती मिलेगी और भारत को एक वैश्विक EV निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।