नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आज मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में 1% की बड़ी कटौती की घोषणा की है। अब CRR 4% से घटाकर 3% कर दिया गया है। CRR वह हिस्सा होता है जो हर बैंक को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा नकद रूप में RBI के पास रखना होता है। इससे RBI को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा पैसा एक साथ बाहर न निकले, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

CRR में कटौती का क्या होगा असर
001% की कटौती का मतलब है कि अब बैंक को कम पैसा RBI के पास रखना होगा। इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा। इसका सीधा असर यह हो सकता है कि ब्याज दरें और घटें और बाजार में लिक्विडिटी यानी नकदी बढ़े।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा CRR में 1% की कटौती एक साहसिक और तरलता बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। इस फैसले से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त प्राथमिक नकदी (Primary Liquidity) आएगी। इससे बैंकों की फंडिंग कॉस्ट घटेगी और उनके पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पूंजी उपलब्ध होगी।
होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन हो सकते हैं सस्ते
1.बैंकों की पूंजी लागत घटने से ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है, जिससे लोन की EMI कम हो सकती है।
2.MSME और रिटेल सेक्टर को मिलेगा ज्यादा कर्ज
छोटे उद्योगों और खुदरा कारोबारियों के लिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे वे अपने संचालन और विस्तार की योजनाएं बेहतर ढंग से लागू कर सकेंगे।
3.बाजार में निवेश और मांग को मिलेगा बढ़ावा
नकदी प्रवाह बढ़ने से उपभोग और निवेश में तेजी आ सकती है, जिससे समग्र आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिलेगी।