बिलासपुर। एक शिक्षक को 20 साल से ज्यादा अनुभव रखने के बावजूद प्रशिक्षित नहीं मानने की लापरवाही पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण निदेशक इस मामले में आदेश की प्रति मिलने के 60 दिन के भीतर फैसला लें।

नियम के बावजूद नहीं मिल रहा लाभ

यह मामला रायगढ़ जिले के शासकीय हाई स्कूल भालूमार में कार्यरत व्याख्याता केशव प्रसाद पटेल से जुड़ा है। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि वह पिछले 20 साल से ज्यादा समय से लगातार पढ़ा रहे हैं और उनकी उम्र भी 50 साल पार हो चुकी है। ऐसे में उन्हें शासन के 1979 के परिपत्र के अनुसार प्रशिक्षित शिक्षक घोषित किया जाना चाहिए।

राज्य सरकार का 22 नवंबर 1979 का परिपत्र यह कहता है कि अगर कोई शिक्षक 20 साल की सेवा पूरी कर चुका हो या उसकी उम्र 50 साल से ज्यादा हो गई हो, तो उसे प्रशिक्षण की प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं है और उसे सीधे प्रशिक्षित माना जा सकता है।

केशव पटेल के वकील सिद्धार्थ पांडेय ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने पहले भी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को अपना पक्ष सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ भेजा था, लेकिन अब तक कोई उचित निर्णय नहीं लिया गया।

कोर्ट ने दिया यह आदेश

हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण निदेशक को निर्देश दिया कि आदेश की प्रति मिलते ही 60 दिनों के भीतर यह तय किया जाए कि याचिकाकर्ता को प्रशिक्षित शिक्षक की छूट दी जा सकती है या नहीं।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि इसी तरह के मामले में पहले भी 28 जून 2021 को एक और शिक्षक की याचिका (डब्ल्यूपीएस 2169/2021) में यही निर्णय दिया गया था। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए संबंधित विभागों को समयसीमा में फैसला लेने का आदेश दे दिया।