अहमदाबाद। गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जा रही बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की फ्लाइट टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 265 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद यह सवाल फिर उठने लगे हैं कि क्या बोइंग की निर्माण प्रक्रिया में लापरवाही और घटिया पुर्जों का इस्तेमाल इस त्रासदी का कारण बना?

पहले से रहा है ड्रीमलाइनर का खराब रिकॉर्ड
एविएशन ट्रैकिंग पोर्टल “एयरो इनसाइड” के मुताबिक, ड्रीमलाइनर में इंजन लीकेज, कैबिन प्रेशर ड्रॉप, फ्लैप फेल्योर, लैंडिंग गियर में खराबी, और ऑक्सीजन सिस्टम जैसी समस्याएं पहले भी रिपोर्ट की गई हैं। एयर इंडिया के बेड़े में शामिल इन विमानों को लेकर पिछले 10 वर्षों में 30 से अधिक बार तकनीकी आपात स्थितियां उत्पन्न हुई हैं।
जब दिल्ली से बर्मिंघम की फ्लाइट में हुई थी हाइड्रोलिक लीकेज
13 दिसंबर 2024 को दिल्ली से बर्मिंघम जा रही फ्लाइट AI-113 की लैंडिंग के समय नोज गियर में हाइड्रोलिक लीक की सूचना मिली थी। विमान को तुरंत रनवे से हटाकर टो किया गया और उसे 28 घंटे तक ग्राउंड कर दिया गया।
इंजीनियरों ने दी थी चेतावनी, लेकिन…
2024 में बोइंग के इंजीनियर सैम सालेहपुर और पूर्व कर्मचारी जॉन बार्नेट ने यह दावा किया था कि 787 ड्रीमलाइनर के निर्माण में कई तरह के शॉर्टकट अपनाए गए। बार्नेट ने तो यहां तक कहा था कि “कुछ कल-पुर्जे कबाड़ से निकालकर लगाए गए थे ताकि समय पर डिलीवरी हो सके।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आपातकालीन ऑक्सीजन सिस्टम तक में गड़बड़ी है, जिसे मैनेजमेंट ने अनदेखा किया।
FAA और NTSB की जांचें बनी थीं चेतावनी
इन आरोपों के बाद अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड (NTSB) ने बोइंग की मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया की जांच शुरू की। 2017 में NTSB की रिपोर्ट में बार्नेट की कई बातों को सच मानते हुए बोइंग को सुधारात्मक आदेश भी जारी किए गए थे।
अहमदाबाद हादसा बना सबसे भयावह त्रासदी
अहमदाबाद में गुरुवार को हुए हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल समेत कुल 265 लोगों की जान चली गई। इस फ्लाइट में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी सवार थे। यह अब तक का सबसे बड़ा ड्रीमलाइनर हादसा बन गया है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में मौतें हुईं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद पहुंचकर घटनास्थल का दौरा करेंगे और राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा करेंगे। हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं।