- 43 निजी भू स्वामियों से 54 लाख रुपए का लगाया अर्थदण्ड
- शासकीय भूमि में अवैध रेत भंडारित करने पर एक करोड़ 64 लाख रुपए का जुर्माना
महासमुंद। मानसून के चलते पिछले दिनों पूरे प्रदेश में रेत के उत्खनन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। हालांकि रेत के कारोबारी और माफिया इससे पहले से ही तैयार थे और उन्होंने समय से पहले जगह-जगह रेत का भण्डारण कर लिया था। इनमें से कुछ तो खनिज विभाग की अनुमति लेकर स्टॉक किये गए हैं, मगर अवैध तरीके से भंडारण करने वालों की भरमार है। प्रतिबंध के बाद जिलों में कार्रवाई भी शुरू हो गई है।
निजी और शासकीय जमीन पर स्टॉक
रेत खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण पर प्रभावी रोकथाम के लिए महासमुंद जिले में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देश पर खजिन विभाग द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है। यहां संयुक्त टीम द्वारा महासमुंद विकासखण्ड अंतग्रत ग्राम बरबसपुर में अवैध रेत का पहाड़ बना दिया गया है। इस भण्डारण को ग्राम सरपंच, कोटवार एवं ग्रामवासियों के समक्ष जप्त करने की कार्रवाई की गई। इस दौरान ग्राम बरबसपुर में 43 भू स्वामियों के निजी भूमि एवं 14 शासकीय भूमि में अवैध रूप से रेत का भंडारण किया जाना पाया गया। जिसमें 54 लाख रुपए भूस्वामियों से एवं 1 करोड़ 64 लाख 25000 रुपए शासकीय भूमि में अवैध रेत भण्डारण से अर्थदण्ड लगाया गया है।

खनिज अधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि जिले में रेत के अवैध भण्डारण, उत्खनन एवं परिवहन पर लगातार कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार कार्रवाई जारी है। इसी कड़ी में ग्राम बरबसपुर में अवैध रेत भण्डारण की सूचना मिलने पर छापामार कार्रवाई की गई। यहां कई ग्रामीणों की जमीन पर अवैध तरीके से रेत का स्टॉक किया गया था। खनिज अधिकारी के मुताबिक निजी जमीन पर कुल 43 भूस्वामियों से 13 हजार 50 घनमीटर के लिए कुल 54 लाख एक हजार 250 रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है।
इसके अलावा शासकीय भूमि के 14 अलग-अलग खसरा नम्बर पर 62 हजार घनमीटर अवैध रेत का भण्डारण पाया गया जिसमें एक करोड़ 64 लाख 25 हजार रुपए की राशि अधिरोपित की गयी है। उपरोक्त सभी रेत भण्डारण की मात्रा को बिना वैध दस्तावेज के पाए जाने पर आगामी आदेश पर्यंत तक जप्त किया गया है।
महानदी में किया गया बेतहाशा उत्खनन
दरअसल रायपुर और महासमुंद जिले के बीच महानदी बहती है और इसमें काफी मात्रा में रेत निकलती है। प्रतिबंध से पूर्व इस नदी से भारी मात्रा में रेत निकाल कर परिवहन किया गया, वहीं इसी दौरान अलग से स्टॉक करने के लिए काफी रेत निकाली गई। आलम यह है कि नदी के दोनों ओर याने महासमुंद और रायपुर जिले के कई गांवों और सड़कों के किनारे रेत का पहाड़ खड़ा कर दिया गया है।

इधर कार्रवाई – उधर छूट
रेत के अवैध स्टॉक के मामले में जहां एक ओर महासमुंद जिले में ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई वहीं दूसरी ओर रायपुर जिले की तरफ जो भारी-भरकम स्टॉक है उस पर फ़िलहाल खनिज विभाग की तरफ से कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। यहां हाईवे के किनारे ही रेत का स्टॉक नजर आता है, मगर ऐसा लगता है कि खनिज विभाग के अफसर इस ओर से आंख मूंदे हुए हैं। संभव है कि यहां रेत के स्टॉक की अनुमति ली गई हो मगर जितनी मात्रा में अनुमति दी जाती है, उससे काफी ज्यादा मात्रा में यह स्टॉक नजर आता है।

अब महंगी कीमत पर बिकेगी रेत
उत्खनन पर प्रतिबंध के बावजूद रेत का कारोबार इसी तरह चलता रहेगा जैसा पूर्व के वर्षों में होता रहा है। गाहे-बगाहे नदी नालों से रेत तो निकाला ही जायेगा, इसके अलावा जो अवैध तरीके से स्टॉक रखा गया है उस रेत की बिक्री धड़ल्ले से होगी, फर्क बस यही होगा कि अब प्रतिबंध के बहाने रेत की कीमत बढ़ा दी जाएगी। सच कहें तो रेत माफिया को इसी वक्त का इंतजार रहता है, सरकार बारिश के शुरू होने पर रेत के उत्खनन पर रोक लगा देती है। इसके बाद असली खेल शुरू हो जाता है। रेत माफिया स्टॉक की रेत निकाल कर उसका परिवहन करते हैं और उसकी कीमत लगभग 500 रूपये ज्यादा वसूलते हैं। स्वाभाविक है कि इसमें कुछ हिस्सा खनिज अमले और अन्य अफसरों का भी होता है। अफसर इस कालाबाजारी पर रोक लगाने के लाख दावे करें मगर होना तो यही है।