रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) संघ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है। इसी कड़ी में 10 जुलाई से NHM कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। इसके लिए कर्मचारियों ने समर्थन पत्र भी अधिकारियों को सौंपा है।

NHM कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने बताया कि हमारे प्रतिनिधि मंडल ने अप्रैल में स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया एवं आयुक्त सह मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से मुलाकात कर नियमितीकरण, ग्रेड पे, मेडिकल अवकाश, स्थानांतरण नीति जैसी महत्वपूर्ण मांगों को रखा था। उस समय अधिकारियों ने एक महीने के भीतर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

मांग पूरी ना होने से नाराज NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। प्रदेश के ब्लॉक से लेकर जिला स्तर के कर्मचारी आंदोलन में भाग लेने की सहमति दे रहे हैं और अपने जिलाध्यक्षों के माध्यम से प्रांतीय अध्यक्ष को अनिश्चितकालीन आंदोलन की अनुशंसा कर रहे हैं। हेमंत सिन्हा के मुताबिक शासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई तो 10 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल लगभग तय है, जिसके लिए जिलों में बैठकें जारी हैं।

संघ के प्रदेश प्रवक्ता पूरन दास ने बताया कि, शासन-प्रशासन द्वारा समय पर मांगें पूरी नहीं किए जाने से कर्मियों में भारी निराशा एवं आक्रोश है। मानसून सत्र के दौरान आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है।NHM के संविदा कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से अत्यंत कम वेतन, बिना ग्रेड पे, बिना मेडिकल अवकाश जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी उपस्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेजों में सेवा दे रहे हैं। इन्हीं कर्मियों की मेहनत के बल पर छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवाओं में कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।

उन्होंने कहा कि बारिश के इस मौसम में NHM कर्मचारियों के आंदोलन में चले जाने से डायरिया, उल्टी, जलजनित रोगों एवं सांप-बिच्छू काटने जैसे मौसमी बीमारियों के बढ़ते मामलों में आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए शासन को पूरी ज़िम्मेदारी लेनी होगी। NHM संघ सरकार से मांग करता है कि कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों पर तत्काल निर्णय लिया जाए, ताकि जनस्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रतिकूल असर न पड़े।